जस्टिस सूर्यकांत बने देश के अगले मुख्य न्यायाधीश, 24 नवंबर को संभालेंगे पदभार

National News

(नई दिल्ली) 31 अक्टूबर, 2025।
भारत के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत को देश का 53वां मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) नियुक्त किया गया है। वे मौजूदा मुख्य न्यायाधीश जस्टिस भूषण आर. गवई का स्थान लेंगे, जो 23 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। केंद्रीय विधि मंत्रालय के न्याय विभाग ने शुक्रवार को उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी की।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत 24 नवंबर को पदभार ग्रहण करेंगे और 9 फरवरी 2027 तक इस पद पर कार्यरत रहेंगे।

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स (X) पर पोस्ट करते हुए कहा,

“भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत को भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया है। उन्हें हार्दिक बधाई।”

न्यायपालिका में वरिष्ठता के आधार पर अग्रणी

जस्टिस सूर्यकांत, वर्तमान सीजेआई के बाद सुप्रीम कोर्ट में सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं। अपनी ईमानदारी, संतुलित दृष्टिकोण और संवैधानिक विषयों पर गहरी पकड़ के लिए वे जाने जाते हैं।

शिक्षा और प्रारंभिक जीवन

10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार जिले के पेट्वर गांव में जन्मे सूर्यकांत का बचपन सामान्य परिवेश में बीता। उन्होंने गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, हिसार से स्नातक और महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से 1984 में एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने हिसार और बाद में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में वकालत की शुरुआत की।

सामाजिक सरोकारों से जुड़ी न्यायिक यात्रा

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने न्यायिक जीवन में हमेशा सामाजिक न्याय, भूमि अधिग्रहण, आरक्षण, पीड़ितों के अधिकार और संवैधानिक संतुलन जैसे विषयों पर संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाया। उनके कई फैसलों ने सार्वजनिक संसाधनों के संरक्षण और नागरिक अधिकारों की रक्षा को नई दिशा दी।

उल्लेखनीय उपलब्धियां

  • वर्ष 2000 में हरियाणा के एडवोकेट जनरल बने — यह पद संभालने वाले सबसे युवा व्यक्ति थे।
  • 2001 में वरिष्ठ अधिवक्ता (सीनियर एडवोकेट) का दर्जा मिला।
  • 2004 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायाधीश बने।
  • 2018 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए, जहां उनके प्रशासनिक कौशल की व्यापक सराहना हुई।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत के नेतृत्व में भारतीय न्यायपालिका से पारदर्शिता, न्याय की गति और सामाजिक संतुलन की नई उम्मीदें जुड़ी हैं।

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