उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) द्वारा “एग्रोकोलॉजी विषय पर तीन दिवसीय हैंड्स ऑन प्रशिक्षण” कार्यक्रम भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (ICAR) एवं दून पीजी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर साइंस एंड टेक्नोलॉजी के संयुक्त तत्वाधान में प्रारंभ किया गया।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रोफेसर (डॉ) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि विगत वर्ष यूसर्क द्वारा वसंत पंचमी पर्व को खेती बाड़ी दिवस के रूप में मनाए जाने का निश्चय किया गया था। उन्होंने कहा कि आज वसंत पंचमी पर्व को “खेती बाड़ी दिवस” के रूप में यूसर्क द्वारा “एग्रोकोलॉजी विषय पर तीन दिवसीय हैंड्स ऑन प्रशिक्षण” के रूप में मनाया जा रहा है। इसके अंतर्गत सॉइल साइंस, एग्रोनॉमी, फिशरीज, ऑर्गेनिक फार्मिंग आदि को केंद्रित करते हुए उच्च शिक्षा में अध्ययनरत विद्यार्थियों को तीन दिवसीय प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है जो उनके ज्ञान को बढ़ाने के साथ साथ उनके शोध अनुसंधान की दिशा में कौशल विकास (Skill Development) के साथ साथ करियर के लिए भी सहायक होगा।
निदेशक प्रोफेसर (डॉ) अनीता रावत ने कहा कि साइंस को सोसाइटी और संस्कृति को जोड़ते हुए आगे ले जाने की आवश्कता है। इसलिए यू सर्क द्वारा इस प्रकार के प्रशिक्षण प्रारंभ किए गए हैं।
एसजीआरआर विश्वविद्यालय के कृषि विभाग के डॉ अनिल कुमार सक्सेना ने “सस्टेनेबल सॉइल हेल्थ: फाउंडेशन ऑफ एग्रोइकोलॉजिकल सिस्टम्स” विषय पर अपने विशेषज्ञ व्याख्यान में मिट्टी के स्वास्थ्य, गुणवत्ता, ऑर्गेनिक फार्मिंग के तरीके , ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स के सर्टिफिकेशन, वर्मी कम्पोस्टिंग विषय पर विस्तार से जानकारी प्रदान की। डॉ सक्सेना ने मिट्टी के विश्लेषण हेतु सैंपल्स लेने की विधियां बताई तथा हैंड्स ऑन ट्रेनिंग द्वारा सैंपल लेना बताया। भारत सरकार द्वारा निर्धारित गाइडलाइंस बताई।
सभी प्रतिभागियों को कौलागढ़ स्थित भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान का भ्रमण कराया गया। जहां संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ गोपाल कुमार ने “एग्रीकल्चर डायनामिक्स अंडर चेंजिंग क्लाइमेट” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने भारत की वर्तमान वातावरणीय स्थितियों, मृदा की बफरिंग क्रिया, जलवायु परिवर्तन एवं इसके कृषि पर प्रभाव, कृषि क्षेत्र में भविष्य की शोध और अनुसंधान की संभावनाएं विषय पर विस्तार से बताया और सभी के प्रश्नों का समाधान दिया।
दूसरे तकनीकी सत्र में संस्थान की मृदा विश्लेषण केंद्रीय प्रयोगशाला में मुख्य तकनीकी अधिकारी श्री अशोक कुमार, श्रीमती सरिता गुप्ता द्वारा सभी प्रतिभागियों को मृदा विश्लेषण करना, जेल्डाल विधि द्वारा मृदा में नाइट्रोजन ज्ञात करना, ऑर्गेनिक कार्बन निकालना, फ्लेम फोटोमीटर प्रयोग करना, एटॉमिक अब्सोर्पशन स्पेक्ट्रोफोटोमीटर आदि पर हैंड्स ऑन ट्रेनिंग प्रदान की गई।
वैज्ञानिक डॉ ओम प्रकाश नौटियाल ने यूसर्क की विभिन्न वैज्ञानिक गतिविधियों के बारे में विस्तार से बताया।
इसके पूर्व कार्यक्रम समन्वयक वैज्ञानिक डॉ भवतोष शर्मा ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए बताया कि इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में पांच शिक्षण संस्थानों एसजीआरआर यूनिवर्सिटी, जेबीआईटी, दून पीजी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर साइंस एंड टेक्नोलॉजी, ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी, राजकीय पीजी कॉलेज ऋषिकेश के बॉटनी, एग्रीकल्चर, हार्टिकल्चर, बायोटेक्नोलॉजी विषय के बीएससी, एमएससी स्टूडेंट्स द्वारा प्रतिभाग किया जा रहा है।
वैज्ञानिक डॉ मंजू सुंदरियाल ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
कार्यक्रम में वैज्ञानिक डॉ राजेंद्र राणा, आईसीटी टीम सहित कुल 60 लोगों द्वारा प्रतिभाग किया गया।