दूध खाद्य पदार्थ के रूप में हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है। आज दूध से न सिर्फ दही, घी और पनीर बल्कि अनगिनत खाद्य पदार्थ दुनिया भर में बनाए जाते हैं। दूध की महत्ता को देखते हुए हीं इसे सफेद सोना भी कहा जाता है। दूध का प्रयोग जहां शरीर के विकास में लाभकारी होता है, वहीं आज यह रोजगार का भी साधन बन गया है। भारत में भी केंद्र सरकार की ओर से डेयरी विकास और दुग्ध उत्पादन के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं, जिसका परिणाम है कि आज भारत दुनिया का सर्वाधिक दूध उत्पादन करने वाला देश है। ऐसे में देश में इंटरनेशनल डेयरी फेडरेशन वर्ल्ड डेयरी समिट का आयोजन होने जा रहा है, जिसका उद्घाटन पीएम मोदी 12 सितंबर को ग्रेटर नोएडा में करेंगे।
वर्ल्ड डेयरी समिट में 50 देशों के प्रतिभागी लेंगे हिस्सा
इंटरनेशनल डेयरी फेडरेशन वर्ल्ड डेयरी समिट 2022 का आयोजन 12 से 17 सितंबर तक किया जाएगा। इस समिट में वैश्विक और भारतीय डेयरी हित धारकों का समूह, जिसमें उद्योग जगत के विशेषज्ञ, किसान और नीति निर्धारक शामिल होंगे। इस समिट में दूध उत्पादन और प्रसंस्करण क्षमता बढ़ाने, तकनीक के सहारे दूध उत्पादन और वितरण को बढ़ावा देने, छोटे और सीमांत डेयरी किसानों, विशेषकर महिलाओं को सशक्त बनाने जैसे अन्य मुद्दों पर चर्चा होगी। इस समिट में 50 देशों के लगभग 1500 प्रतिभागियों के भाग लेने की उम्मीद है।
सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश
भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है। साल 2018-19 में भारत में 188 मिलियन टन दूध का उत्पादन किया था, जबकि 2019-20 में 198 टन दूध का उत्पादन हुआ। हालांकि, कोरोना काल का असर डेयरी सेक्टर पर भी पड़ा, जिसके चलते वित्तीय वर्ष 2020-21 में उत्पादन में काफी गिरावट दर्ज की गई। वहीं प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता की बात करें, तो 2014 में जहां यह 307 ग्राम पर पर्सन था, वहीं 2019-20 में भरकर 406 ग्राम प्रति व्यक्ति हो गया है।
सरकार उठा रही है कई कदम
20वीं पशु जनगणना रिपोर्ट के अनुसार देश में कुल 54 करोड़ पशुधन है। सरकार पशुपालन और डेयरी विकास को ध्यान में रखते हुए, निरंतर एक के बाद एक कदम उठा रही है, जिनमें राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के माध्यम से पशु प्रजनन, पशु पोषण, पशु स्वास्थ्य, पशुधन एवं आहार विश्लेषण तथा अध्ययन केंद्र, सरकारी सेवाएं, अभियांत्रिकी सेवाएं, वित्तीय एवं योजना सेवाएं, सहकारी प्रशिक्षण, उत्पाद एवं प्रक्रिया पद्धति, क्षेत्रीय विश्लेषण एवं अध्ययन शामिल है, जिससे पशुओं के संवर्धन में किसी तरह की समस्याएं न हो।
लाखों लोगों को मिल रहा रोजगार
पशुधन परंपरागत कृषि के अलावा लाखों लोगों को रोजगार के साधन मुहैया करवाते हैं। दुग्ध उत्पादन और डेयरी विकास इसमें अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। देश के लाखों पशुपालक अपने पशुधन की हिफाजत और सेवा अपने बच्चों की तरह करते हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि इन पशुपालकों की आजीविका का साधन यही पशु बनते हैं। पशुपालक दूध और उससे जुड़े उत्पाद को बेचकर अपने परिवार चलाते हैं। पशुपालकों के अलावा दूध से जुड़े उत्पादों को बनाने वाली आज बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां हैं, जहां प्रसंस्करण का काम बहुत तेजी से किया जाता है। इन फैक्ट्रियों में हजारों की संख्या में लोगों को रोजगार मिलता है। सरकार ने भी डेयरी प्रसंस्करण एवं बुनियादी ढांचा विकास निधि (DIDF) का गठन किया है, जो डेयरी सहकारी समितियों, किसानों के निरंतर लाभ के लिए प्रतिस्पर्धी है। केंद्र सरकार ने 2018-19 से 2022-23 के दौरान डेयरी प्रसंस्करण और बुनियादी ढांचा विकास कोष के क्रियान्वयन के लिए कुल 11,184 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं, जिससे डेयरी क्षेत्र और इससे जुड़े लोगों को मजबूती मिल सके।
डेयरी क्षेत्र की चुनौतियां और आगे का रास्ता
दूध और उससे संबंधित प्रोडक्ट्स में मिलावट के छिटपुट मामले सामने आते रहते हैं, जो चिंताजनक है। कई बार हमारे देश में दुग्ध उत्पादन में स्वच्छता के बुनियादी मानकों पर गहन ध्यान नहीं दिया जाता। इससे दूध की गुणवत्ता के साथ समझौता होता है। भारत में ज्यादा तरल दूध की खपत होती है, ऐसे में गुणवत्ता सुनिश्चित करना एक बड़ी समस्या है, लेकिन सरकार जिस तरह से प्रसंस्करण पर ध्यान दे रही है, उससे उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले दिनों में उच्च गुणवत्ता वाला दूध आम लोगों को मिल पाएगा। इसके अलावा डेयरी क्षेत्र में वैकल्पिक दूध की बढ़ती मांग ने भी एक समस्या खड़ी कर दी है। आज वैकल्पिक दूध का सेवन भी काफी बढ़ गया है। लोग सोयाबीन के दूध, नारियल के दूध, जई के दूध और भांग के दूध का भी सेवन करने लगे हैं। बाजार में भी पौधों से निकलने वाले दूध की डिमांड काफी बढ़ चुकी है। इसे वीगन मिल्क कहा जाता है। इसके अलावा पैकेट वाला दूध और टेट्रा पैक वाला दूध भी इस वक्त ट्रेंड में है।
जाहिर है सरकार द्वारा उठाए जा रहे विभिन्न कदमों के साथ-साथ डेयरी क्षेत्र के सामने कुछ चुनौतियां भी है, जिसे पार पाना जरूरी है। अन्य क्षेत्रों की तरह इस क्षेत्र में भी अनुसंधान, तकनीक और नवाचार को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार हर संभव कोशिश कर रही है ताकि भारत का डेयरी उत्पाद पूरी दुनिया में फल-फूल सके।