योजनाएं और घोषणाएं सिर्फ चुनावी नहीं बल्कि लोगों के विकास के लिए होती हैं। केंद्र सरकार की तमाम योजनाएं इस बात की तस्दीक करती हैं। देशवासियों से किए गए वादे और कल्याणकारी योजनाएं आज कागजों से निकल कर आम जनता तक पहुंच रही हैं। उत्तम स्वास्थ्य, स्वच्छ पानी और दूर से पानी ढोकर लाने की प्रथा को समाप्त करने के लिए शुरू की गई हर घर नल योजना देश की राज्यों में लोगों के लिए वरदान बन गई है।
इस योजना के तहत गोवा पहला ‘हर घर जल’ प्रमाणित राज्य और दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव देश में पहला ‘हर घर जल’ प्रमाणित केंद्र शासित प्रदेश बन गया है। यानि यहां सभी गांवों के लोगों तक ‘हर घर जल’ पहुंच चुका है।
2.63 लाख ग्रामीण परिवारों तक पहुंचा कनेक्शन
गोवा और दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव के ग्राम सभा द्वारा पारित प्रस्ताव के जरिए यह प्रमाणित किया गया है कि गांवों के सभी घरों में नल के माध्यम से सुरक्षित पेयजल उपलब्ध है और यह सुनिश्चित किया गया है कि ‘कोई भी छूटा नहीं है’। गोवा के सभी 2.63 लाख ग्रामीण परिवारों और दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव के 85,156 घरों में नल कनेक्शन के माध्यम से पीने योग्य पानी की पहुंच है।
कैसे किया जाता है प्रमाणित
जल जीवन मिशन को लेकर दिए गए दिशा-निर्देश के मुताबिक सबसे पहले फील्ड इंजीनियर ग्राम सभा की बैठक के दौरान पंचायत को जलापूर्ति योजना के संबंध में एक पूर्णता प्रमाण पत्र प्रस्तुत करता है। ग्राम सभा के एक प्रस्ताव के माध्यम से गांव इस बात की पुष्टि करते हैं कि प्रत्येक घर को निर्धारित गुणवत्ता के पानी की नियमित आपूर्ति हो रही है और एक भी घर नहीं छूटा है। वे यह भी पुष्टि करते हैं कि सभी स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों को भी नल का पानी मिल रहा है।
गोवा के सभी 378 गांवों और दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव के 96 गांवों में ग्राम जल और स्वच्छता समिति (वीडब्ल्यूएससी) या पानी समिति का गठन किया गया है। वीडब्ल्यूएससी ‘हर घर जल’ कार्यक्रम के तहत विकसित जल आपूर्ति बुनियादी ढांचे के संचालन, रखरखाव और मरम्मत के लिए जिम्मेदार है। ग्राम पंचायत की इस उपसमिति के पास उपभोक्ता शुल्क वसूलने की भी जिम्मेदारी है, जिसे बैंक खाते में जमा किया जाएगा और इसका उपयोग पंप संचालक के मानदेय का भुगतान करने और समय-समय पर मामूली मरम्मत कार्य करने के लिए किया जाएगा।
महिलाएं कर रहीं पानी की गुणवत्ता की जांच
मिशन की एक खास बात यह है कि पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक गांव में कम से कम पांच महिलाओं को जल परीक्षण करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। आज देश में 10 लाख से अधिक महिलाओं को ग्रामीण घरों में आपूर्ति किए जाने वाले पानी की गुणवत्ता के परीक्षण के लिए फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। इन महिलाओं द्वारा फील्ड टेस्टिंग किट (एफटीके) का उपयोग करके 57 लाख से अधिक पानी के नमूनों का परीक्षण किया गया है।
कब हुई शुरूआत
जल जीवन मिशन भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसकी घोषणा 15 अगस्त, 2019 को पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से की थी। मिशन का उद्देश्य 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार के लिए नियमित और दीर्घकालिक आधार पर पर्याप्त मात्रा में, निर्धारित गुणवत्ता के पेयजल आपूर्ति का प्रावधान करना है। यह कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ साझेदारी में कार्यान्वित किया जाता है।
मिशन पहले केवल 17 प्रतिशत घरों में था नल से जल
ग्रामीण और ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को अपने और अपने परिवार के लिए पानी लाने के लिए लंबी दूरी तय करते देखना आम बात थी। इससे उनका समय और ऊर्जा दोनों खत्म हो जाती थी। यदि नल के पानी के कनेक्शन उनके घरों तक पहुंच गए होते, तो महिलाओं के समय और ऊर्जा का उपयोग बेहतर गतिविधियों में किया जा सकता था।
लेकिन केंद्र सरकार के “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” के दृष्टिकोण के बाद, देश में 52 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण परिवार अब नल के पानी से जुड़े हुए हैं, जो इस 15 अगस्त 2019 को इस मिशन से पहले केवल 17 प्रतिशत था।
वहीं बता दें कि गोवा, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव के अलावा तेलंगाना, हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेश – अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, और पुडुचेरी भी नल जल कवरेज प्रदान में आगे हैं। पंजाब, हिमाचल प्रदेश, गुजरात और बिहार भी जल्द ही शत-प्रतिशत हर घर नल योजना का शत-प्रतिशत कवरेज हासिल कर लेंगे।