विश्व आदिवासी दिवस आज, जानें आदिवासी समाज के लिए देश में क्या कुछ खास कर रही सरकार

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आज पूरी दुनिया में विश्व आदिवासी दिवस मनाया जा रहा है। ऐसे में जल, जंगल और पहाड़ के बीच रहने वाले हमारे आदिवासी भाई-बहनों के लिए यह दिन बेहद खास समझा जाता है। दरअसल, जनजाति दिवस यानि ‘इन्टरनेशनल डे ऑफ वर्ल्डस इंडीजीनस पीपल्स’ जनजातियों के अधिकारों को बढ़ावा देने, नैसर्गिक सुरक्षा-विकास के अधिकाधिक अवसर उपलब्ध कराने और उन सभी जनजातीय मूल निवासियों के योगदान को स्वीकार करने का दिन है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पहली बार सन् 1994 में ‘विश्व आदिवासी दिवस’ मनाए जाने की घोषणा की थी। तब से लेकर आज तक इसी महत्व को लेकर यह दिवस मनाया जा रहा है।

केंद्र सरकार का उद्देश्य आदिवासी समाज का अधिक से अधिक विकास

इसी क्रम में पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार भी तमाम तरह के कार्य कर रही है जो आदिवासी समाज के सरंक्षण और जनजातियों के अधिकारों को बढ़ावा देने, नैसर्गिक सुरक्षा-विकास के अधिकाधिक अवसर उपलब्ध कराने के साथ-साथ सभी जनजातीय मूल निवासियों के योगदान को स्वीकार करता है। सबसे खास बात यह है कि भारत के सर्वश्रेष्ठ पद पर यानि राष्ट्रपति के पद पर स्वयं आदिवासी समाज से आने वाली राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू हैं। इससे स्पष्ट होता है कि केंद्र सरकार का उद्देश्य आदिवासी समाज का विकास करना है।

पीएम मोदी ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के लिए बहादुर आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के अमूल्य बलिदानों को लगातार उजागर किया है। अपने पिछले भाषणों में, उन्होंने बहादुर आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति को समर्पित संग्रहालयों के निर्माण की परिकल्पना की थी, ताकि आने वाली पीढ़ियां देश के लिए उनके बलिदानों के बारे में जान सकें और इन आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत को आगे बढ़ाएं।

10 आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालयों के निर्माण को मंजूरी

इसी क्रम में जनजातीय कार्य मंत्रालय ने अब तक 10 आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालयों के निर्माण को मंजूरी दी है। ये संग्रहालय भारत के विभिन्न राज्यों के आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की यादों को संजोए रखेंगे। इनमें सबसे खास हैं ”भगवान बिरसा मुंडा” जिन्हें देश में आदिवासी समाज भगवान के तौर पर पूजता है। बता दें, बिरसा मुंडा एक प्रतिष्ठित स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और देश के श्रद्धेय आदिवासी नेता थे, जिन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार की शोषणकारी व्यवस्था के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी और अपने जीवनकाल में एक महान व्यक्ति बन गए, जिन्हें अक्सर ‘भगवान’ कहा जाता है। उन्होंने आदिवासियों का ‘‘उलगुलान’’ (विद्रोह) के लिए आह्वान करते हुए आदिवासी आंदोलन का आयोजन और नेतृत्व किया। उन्होंने आदिवासियों को उनकी सांस्कृतिक जड़ों को समझने और एकता का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया।

15 नवम्बर को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में किया घोषित

इस हेतु भारत सरकार ने 15 नवम्बर को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में घोषित किया है। इसके अलावा भारत सरकार ने झारखंड राज्य सरकार के सहयोग से रांची के पुराने सेंट्रल जेल के स्‍थान पर भगवान बिरसा मुंडा आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय बनाया है, जहां महान बिरसा मुंडा ने अपने जीवन का बलिदान दिया था।

याद हो बीते साल भगवान बिरसा मुंडा की 146वीं जयंती पर रांची में भगवान बिरसा मुंडा मेमोरियल पार्क सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का पीएम मोदी ने वर्चुअल उद्घाटन किया था। वाकयी झारखंड स्थापना दिवस के अवसर पर, इस पहल ने राष्ट्र के लिए आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों और आदिवासी समुदायों के बलिदान को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की थी और यह सब संभव हुआ था केंद्र सरकार के प्रयासों से।

50 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों की आधारशिला

केवल इतना ही नहीं केंद्र सरकार द्वारा बीते वर्ष देश भर में 50 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों की आधारशिला भी रखी गई। आदिवासियों की विशिष्ट जनजातीय संस्कृति और भाषा को महत्व देते हुए, पीएम मोदी ने आजादी का अमृत महोत्सव (इंडिया@ 75) के तहत आदिवासी छात्रों की शिक्षा पर जोर देने के लिए लगभग 750 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय स्थापित करने का संकल्प लिया। बताना चाहेंगे इनमें से बड़ी संख्या में कई स्कूल पहले से ही काम कर रहे हैं।

आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के मिल रहे अवसर

वहीं केन्‍द्र सरकार द्वारा वहन किए जाने वाले प्रति छात्र व्यय में को लगभग प्रति छात्र 40,000 रुपए से बढ़ाकर 1,00,000 रुपए से अधिक कर दिया गया है और यह निश्चित रूप से आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अवसरों तक पहुंचने में सक्षम बनाएगा।

इन सबके अलावा देश भर में अलग-अलग स्थानों पर केंद्र सरकार आदिवासी समाज के लिए कार्य करती रही है जैसे ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के मौके पर बीते वर्ष आंध्र प्रदेश की ओर से विशाखापत्तनम में पांच दिवसीय राज्य स्तरीय आदिवासी शिल्प मेला (प्रदर्शनी सह बिक्री) आयोजित किया गया। अरुणाचल प्रदेश ईएमआरएस में एक कार्यक्रम- ‘बिरसा मुंडा की स्‍मृति’ का आयोजन किया गया। असम ने इस अवसर पर एक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया। छत्तीसगढ़ ने जनजातीय शिल्प मेला का आयोजन किया। गुजरात ने एक पारंपरिक जनजातीय कला और शिल्प मेला, जनजातीय हर्बल और आहार मेला आयोजित किया।

उन्होंने पारंपरिक आदिवासी नृत्य कार्यक्रम भी आयोजित किया। झारखंड ने रक्तदान शिविर का आयोजन किया, 45 पुस्तकों का विमोचन किया, माल्टो, भूमिज, असुर और बिरहोर पर प्राइमर तथा व्याकरण की पुस्तकों के साथ-साथ मल पहाड़िया, बंजारा, कोंध, करमाली, कर्मा और सोरहाई पर एक वृत्तचित्र का विमोचन किया। केरल ने वन अधिकार अधिनियम पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। मेघालय ने कोंगथोंग में एक कार्यक्रम का आयोजन किया। मिजोरम ने भगवान बिरसा मुंडा के चित्र पर स्पॉट पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया। नागालैंड ने कैटापल्ट टारगेट हिटिंग पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया। ओडिशा ने भारत की स्वतंत्रता के संघर्ष में भगवान बिरसा मुंडा के योगदान पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया। राजस्थान ने आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया। सिक्किम ने रक्तदान शिविर का आयोजन किया। तमिलनाडु ने आदिवासी युवाओं के लिए औषधीय पौधों और ड्राइंग प्रतियोगिता पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। ऐसे तमाम कार्य हर वर्ष आदिवासी समाज के लिए आयोजित किए जाते हैं।

आदिवासी समाज के लोगों को सरकार दे रही आय के लिए खास प्रशिक्षण

इस प्रकार देश के तमाम हिस्सों में आज आदिवासी समाज के लिए कार्य किए जा रहे हैं। जिन गरीब आदिवासियों की सुध लेने वाला कोई नहीं था पीएम मोदी के नेतृत्व में आज वहीं गरीब आदिवासी सरकार के प्रयासों से कमाई के नए-नए तौर-तरीके सीख रहे हैं। जी हां, इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा उन्हें प्रशिक्षण भी प्रदान किया जा रहा है।

”मीठी क्रांति” में आदिवासी समाज का खास योगदान

देश की ”मीठी क्रांति” में आदिवासी समाज का खास योगदान रहा है। मीठी क्रांति से हमारा अभिप्राय शहद उत्पादन से है। जी हां इन्हीं आदिवासी इलाकों से देश और विदेश में आज शहद भेजा रहा है। सरकार ने आदिवासी समाज के लोगों को प्रशिक्षण देकर इसे आय के साधन के रूप में इस्तेमाल करने का विकल्प दिया। इसके अलावा सरकार द्वारा मुर्गी पालन, पशुपालन व मछली पालन जैसे अन्य कई विकल्प सुझाए गए हैं जो आज आदिवासी समाज की कमाई का जरिया बन चुके हैं। इस प्रकार आज केंद्र सरकार के प्रयासों से आदिवासी समाज मुख्य धारा में जुड़ गया है और अर्थव्यवस्था में अपना योगदान अदा कर रहा है।

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