#WorldTBDay: भारत को 2025 तक को टीबी मुक्त बनाने का संकल्प

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आज गुरुवार यानि ’24 मार्च 2022′ को ‘विश्व तपेदिक दिवस’ यानि ‘वर्ल्ड टीबी डे’ है। तपेदिक रोग के विनाशकारी प्रभाव व इसके सामाजिक और आर्थिक परिणामों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 24 मार्च को विश्व तपेदिक दिवस मनाया जाता है। साथ ही इस दिन इस वैश्विक महामारी को खत्म करने पर जोर दिया जाता है। आज ही के दिन 1882 में डॉक्टर रॉबर्ट कोच ने टीबी बैक्टीरिया की खोज की थी। इसी की वर्षगांठ के उपलक्ष्य में यह दिवस मनाया जाता है।

टीबी के चलते प्रतिदिन लगभग 4,000 लोग गंवाते हैं अपनी जान

टीबी के चलते प्रतिदिन लगभग चार हजार लोग अपनी जान गंवाते हैं और करीब 28 हजार लोग इस रोकथाम योग्य और इलाज योग्य बीमारी से बीमार पड़ते हैं। टीबी से निपटने के वैश्विक प्रयासों के कारण वर्ष 2019 से अनुमानित  6.3 करोड़ लोगों की जान बचाई जा सकी है। वहीं 2021 में कुल 21. 35 लाख टीबी के मामले सामने आए। 2021 में ही 22.38 करोड़ कमजोर आबादी की टीबी की जांच की गई। वहीं मोलिकुलर निदान को 3760 NAAT मशीनों तक बढ़ाया गया। 2021 में  निजी क्षेत्र का नोटिफिकेशन बढ़कर 6.9 लाख हो गया, 2020 में इसमें 24 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

भारत में विश्व के क्षय रोग के 30% मरीज

इसी उपलक्ष्य में आओ हम सब मिलकर भारत को टीबी मुक्त बनाने का संकल्प लें। दरअसल, यह दिन खास इस बीमारी के उन्मूलन को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए बनाया गया है। ज्ञात हो, भारत में विश्व के क्षय रोग के 30% मरीज हैं। इसलिए यह आज भी हमारे देश के लिए एक गंभीर समस्या का सबब बन सकती है। टीबी रोग की रोकथाम और उपचार मुमकिन है।

2025 तक टीबी के सफाए के लिए केंद्र सरकार ने उठाए कई अहम कदम

इसलिए पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने 2025 तक टीबी को समाप्त करने के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। केंद्र सरकार ने 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाने का संकल्प लेते हुए इस बीमारी के खिलाफ एक जन आंदोलन खड़ा करने का आह्वान किया है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए केद्र सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। समाज में टीबी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 12 हजार से अधिक टीबी चैंपियंस को प्रशिक्षित किया गया। देश में 4.39 लाख से अधिक टीबी उपचार समर्थकों अपने योगदान दे रहे हैं। वही निक्षय पोषण योजना के जरिए टीबी रोगियों को पूरक पोषण दिया जा रहा है। ज्ञात हो, 2021 में 13.57 लाख टीबी रोगियों को डीबीटी के माध्यम से 294.88 करोड़ की सहायता भी जारी की गई थी। इसके अलावा RNTCP के तहत सभी रोगियों को टीबी रोधी दवाओं सहित नि:शुल्क निदान और उपचार की सुविधा भी प्रदान की गई है।

भारत में टीबी के लिए बजट आवंटन में पिछले 5 वर्षों में चार गुना वृद्धि

गौरतलब हो, भारत में टीबी के लिए बजट आवंटन में बीते 5 वर्षों में चार गुना वृद्धि देखी गई है। उच्च-गुणवत्ता वाली दवाओं, डिजिटल तकनीक, निजी क्षेत्र और समुदायों के बीच स्वास्थ्य प्रणाली के भीतर सभी स्तरों पर टीबी सेवाओं को एकीकृत करके देश में टीबी की घटनाओं और मृत्यु दर में तेजी से गिरावट लाने के लिए इनका इस्तेमाल किया गया है।”

प्रत्येक जिले में कम से कम एक रैपिड मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक सुविधा उपलब्ध

पिछले कुछ वर्षों में देश ने टीबी उन्मूलन की दिशा में निश्चित कदम उठाए हैं। राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के निरंतर प्रयासों से टीबी सूचनाओं में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है और समय पर निदान, पालन और उपचार परिणामों में महत्वपूर्ण सुधार हुए हैं। यह एक उत्साहजनक संकेत है और यह दर्शाता है कि अब हमारे पास टीबी रोगियों तक बेहतर पहुंच है और सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के रोगियों को मुफ्त उपचार प्रदान करने की क्षमता है। पिछले कुछ वर्षों में भारत की नैदानिक क्षमता में काफी वृद्धि की गई है और अब हमारे पास प्रत्येक जिले में कम से कम एक रैपिड मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक सुविधा उपलब्ध है और हम इसे ब्लॉक स्तर तक विकेंद्रीकृत करने का लक्ष्य बना रहे हैं।

देश में ”स्टेप-अप टू एंड टीबी’ कार्यक्रम

वहीं गुरुवार को नई दिल्‍‍ली स्थित विज्ञान भवन में स्टेप-अप टू एंड टीबी –वर्ल्‍ड टीबी डे शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया गया। स्टेप-अप टू एंड वर्ल्ड टीबी डे शिखर सम्मेलन न केवल 2018 के आह्वान की दिशा में आगे बढ़ने की दिशा में एक कदम है जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत ने टीबी उन्मूलन की यात्रा में किस हद तक प्रगति की है बल्कि यह भारत की टीबी प्रतिबद्धताओं की पुनरावृत्ति और विवेकशील लोगों को एकजुट करने का प्रयास है क्योंकि देश टीबी उन्मूलन के अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए आगे बढ़ रहा है
इस शिखर सम्मेलन में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल वर्चुअली मुख्य अतिथि के बतौर शामिल हुई। चर्चा में प्रमुखता से भाग लेते हुए उन्होंने 2025 तक टीबी को खत्म करने के लिए भारत के नवाचारों और उपलब्धियों की तेज गति पर प्रकाश डाला। शिखर सम्मेलन में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्‍याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार भी मौजूद रहीं। इस दौरान डॉ. मनसुख मंडाविया ने कार्यक्रम में ‘विशेष संबोधन’ देते हुए कहा कि 360 डिग्री समग्र दृष्टिकोण भारत में टीबी उन्मूलन की आधारशिला है। “हम एसडीजी 2030 द्वारा निर्धारित टीबी के लक्ष्य से पांच साल पहले 2025 तक टीबी को खत्म करने के हमारे माननीय पीएम के दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए दृढ़ और प्रतिबद्ध हैं।

याद हो, मार्च 2018 में, पीएम मोदी ने दिल्ली एंड टीबी शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता की थी जिसमें पीएम मोदी ने एसडीजी के 2030 के टीबी से संबंधित लक्ष्यों से पांच साल पहले 2025 तक भारत में टीबी समाप्त करने का आह्वान किया था।

कोविड-19 के खिलाफ लड़ी गई लड़ाई की तरह टीबी से लड़ना होगा

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कोविड से उत्पन्न चुनौतियों का उल्लेख करते हुए यह भी कहा कि “दो वर्षों से अधिक समय से, हम टीबी प्रसार के अलावा वैश्विक महामारी का सामना कर रहे हैं। दोनों रोग अत्यधिक संक्रामक व वायु जनित हैं और परिवारों और समुदायों को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं। उन्होंने कहा, ” हम जन आंदोलन और जन भागीदारी के माध्यम से टीबी के खिलाफ अपनी सामूहिक लड़ाई में विभिन्न हितधारकों और भागीदारों को शामिल करें, ठीक उसी तरह जैसे हमने कोविड-19 के खिलाफ अपनी लड़ाई में सहयोग किया है।”

कोविड काल में भी चलता रहा भारत का टीबी कार्यक्रम

बीते साल कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद भारत के टीबी कार्यक्रम में 18.04 लाख से अधिक टीबी मरीज सामने आए। उत्साहजनक रूप से लॉकडाउन अवधि के बाद कई अभिनव रणनीतियों को लागू करके यह कार्यक्रम अपने पूर्व-कोविड स्तर पर वापस आने में कामयाब रहा है और पीएम मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप 2025 तक टीबी को समाप्त करने के लिए वापस ट्रैक पर है।

भारत फैसला कर लेता है तो , भारत करके भी दिखाता है

भारत को लेकर यह बिलकुल कहा जा सकता है कि जब भारत फैसला कर लेता है तो , भारत करके भी दिखाता है। देश भर में कोविड-19 के खिलाफ जंग के समय में कोविड और टीबी दोनों की जांच के लिए स्वदेशी रूप से विकसित लागत प्रभावी, पॉइंट-ऑफ-केयर मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक मशीनों को तैनात किया गया था। इस दौरान कई राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों ने घर-घर कोविड-19 स्क्रीनिंग अभियानों का लाभ उठाया और कोविड निगरानी रणनीतियों के साथ-साथ टीबी को भी एकीकृत किया गया।”

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