मन की बात: PM ने कहा- पिछले 7 सालों में 200 से अधिक मूर्तियां भारत वापस लाई गईं

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पीएम मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 86वीं कड़ी को संबोधित किया। कार्यक्रम की शुरुआत पीएम मोदी ने कहा कि प्राचीन भारतीय मूर्तियां भारत की धरोहर और सांस्कृतिक महत्व की हैं। इन मूर्तियों से हमारी आस्था और विश्वास जुड़े हुये हैं। चोरी हुई इन मूर्तियों को वापस लाना भारत मां के प्रति हमारा दायित्व है। पीएम ने चोरी हुई प्राचीन भारतीय प्रतिमाओं को देश की आत्मा और आस्था का अंश बताते हुये कहा कि साल 2013 तक करीब-करीब 13 प्रतिमाएं भारत आयी थीं। लेकिन, पिछले 7 सालों में 200 से ज्यादा बहुमूल्य प्रतिमाओं को भारत लाने में सफलता मिली है।

अपने संबोधन में पीएम मोदी ने मातृभाषा और भारतीय भाषाओं पर जोर देते हुये कहा कि मां और मातृभाषा दोनों मिलकर जीवन की नींव को मजबूत और चिरंजीव बनाते हैं। उन्होंने देशवासियों से अपनी मातृभाषा की खूबियों के बारे में जानकारी जुटाने और इस पर कुछ-न-कुछ लिखने का आह्वान किया।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्थानीय भाषा पर जोर

राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के प्रावधान का जिक्र करते हुये पीएम ने कहा कि हमारे यहां भाषा की अपनी खूबियां और मातृभाषा का अपना विज्ञान है। इस विज्ञान को समझते हुए ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्थानीय भाषा में पढ़ाई पर जोर दिया गया है। हमारे व्यवसायी कोर्स भी स्थानीय भाषा में पढ़ाए जाएं, इसका प्रयास हो रहा है। आजादी के अमृत-काल में इस प्रयासों को मिलकर गति देनी चाहिये, यह स्वाभिमान का काम है।

भारत भाषाओं की तुलना ही नहीं हो सकती

पीएम ने उन अनाम हस्तियों पर कटाक्ष किया जो भारतीय भाषाओं और संस्कृति से सहज नहीं हैं। उन्होंने कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी कुछ लोग ऐसे मानसिक द्वन्द में जी रहे हैं, जिसके कारण उन्हें अपनी भाषा, अपने पहनावे, अपने खान-पान को लेकर संकोच होता है, जबकि विश्व में कहीं अन्य स्थानों पर ऐसा नहीं है। उन्होंने ऐसे लोगों को गर्व के साथ अपनी मातृभाषा को बोलने की सलाह देते हुये कहा कि भारत भाषाओं के मामले में इतना समृद्ध है कि उसकी तुलना ही नहीं हो सकती।

121 प्रकार की मातृभाषाओं का देश है भारत

पीएम ने आगे कहा कि भारत में विश्व की सबसे पुरानी भाषा तमिल है और इस बात का हर भारतीय को गर्व होना चाहिए कि दुनिया की इतनी बड़ी विरासत हमारे पास है। उसी प्रकार से जितने पुराने धर्मशास्त्र हैं, उसकी अभिव्यक्ति भी हमारी संस्कृत भाषा में है। हमें गर्व होगा कि 121 प्रकार की मातृभाषाओं से जुड़े हुए हैं और इनमें 14 भाषाएं तो ऐसी हैं जो एक करोड़ से भी ज्यादा लोग रोजमर्रा की जिंदगी में बोलते हैं।

2019 में हिन्दी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में तीसरे नंबर पर

उन्होंने कहा कि जितनी कई यूरोपियन देशों की कुल जनसंख्या नहीं है, उससे ज्यादा लोग हमारे यहां अलग-अलग 14 भाषाओं से जुड़े हुए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि साल 2019 में हिन्दी दुनिया की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में तीसरे स्थान पर थी। इस बात का भी हर भारतीय को गर्व होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाषा केवल अभिव्यक्ति का ही माध्यम नहीं है, बल्कि भाषा, समाज की संस्कृति और विरासत को भी सहेजने का काम करती है।

मराठी भाषा गौरव दिवस की दी शुभकामना

प्रधानमंत्री ने मराठी भाषा गौरव दिवस के अवसर पर सभी मराठी भाई-बहनों को इस विशेष दिन की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि यह दिन मराठी कविराज, विष्णु बामन शिरवाडकर जी, कुसुमाग्रज जी को समर्पित है। आज ही कुसुमाग्रज जी की जन्म जयंती भी है। कुसुमाग्रज जी ने मराठी में कविताएं लिखी। अनेकों नाटक लिखे और मराठी साहित्य को नई ऊंचाई दी।

आयुष स्टार्टअप चैलेंज

इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि पिछले सात वर्षों में देश में आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार पर बहुत ध्यान दिया गया है। आयुष मंत्रालय के गठन से चिकित्सा और स्वास्थ्य से जुड़े हमारे पारंपरिक तरीकों को लोकप्रिय बनाने के संकल्प को और मजबूती मिली है। उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि पिछले कुछ समय में आयुर्वेद के क्षेत्र में भी कई नए स्टार्टअप सामने आए हैं। इसी महीने की शुरुआत में आयुष स्टार्टअप चैलेंज शुरू हुआ था। इस चैलेंज का लक्ष्य, इस क्षेत्र में काम करने वाले स्टार्टअप्स को पहचान करके उन्हें सहायता करना है। इस क्षेत्र में काम कर रहे युवाओं से मेरा आग्रह है, कि वे इस चैलेंज में जरुर हिस्सा लें।

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