प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अवसर पर ‘भारतीय वस्त्र एवं शिल्प कोष-कपड़ा और शिल्प का भंडार’ का शुभारंभ किया

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में 9वें राष्ट्रीय हथकरघा दिवस समारोह की अध्यक्षता की और राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा विकसित ई-पोर्टल ‘भारतीय वस्त्र एवं शिल्प कोष-कपड़ा और शिल्प का भंडार’ का शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर आयोजित प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया और वहां मौजूद बुनकरों से बातचीत की।

देशभर से आए 3000 से अधिक बुनकरों और कारीगरों की सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने भारत के हथकरघा उद्योग के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि पुराने और नए का संगम आज के नए भारत को परिभाषित करता है। उन्होंने कहा, “आज का भारत सिर्फ ‘वोकल फ़ॉर लोकल’ ही नहीं, बल्कि इसे दुनिया भर में ले जाने के लिए वैश्विक मंच भी प्रदान कर रहा है।” स्वदेशी आंदोलन पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह केवल विदेश में बने कपड़ों के बहिष्कार तक ही सीमित नहीं था, बल्कि भारत की स्वतंत्र अर्थव्यवस्था के लिए प्रेरणास्रोत भी रहा। उन्होंने कहा कि यह भारत के बुनकरों को लोगों से जोड़ने का आंदोलन था और सरकार द्वारा इस दिन का चयन राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में करने के पीछे यही प्रेरणा थी।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर प्रकट हो रही परिधानों की विविधता को रेखांकित करते हुए इस बात पर जोर दिया कि व्यक्ति की पहचान उसके द्वारा धारण किए गए कपड़ों से होती है। उन्होंने कहा कि यह विभिन्न क्षेत्रों के परिधानों के माध्यम से भारत की विविधता का जश्न मनाने का भी अवसर है। दूर-दराज के इलाकों के जनजातीय समुदायों से लेकर बर्फ से ढके पहाड़ों में रहने वाले लोगों, तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों से लेकर रेगिस्तान में रहने वाले लोगों के साथ ही साथ भारतीय बाजारों में उपलब्ध कपड़ों की विविधता की ओर इंगित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत के पास कपड़ों का सुंदर इंद्रधनुष विद्यमान है।” उन्होंने भारत के विविध परिधानों को सूचीबद्ध और संकलित करने की आवश्यकता के आग्रह को याद करते हुए इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि आज ‘भारतीय वस्त्र एवं शिल्प कोष’ के शुभारंभ के साथ यह फलीभूत हो गया।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि कपड़ा क्षेत्र के लिए लागू की गई योजनाएं सामाजिक न्याय का प्रमुख साधन बन रही हैं, क्योंकि देश भर के गांवों और कस्बों में लाखों लोग हथकरघा के काम में जुटे हुए हैं। इनमें से अधिकांश लोगों के दलित, पिछड़े, पसमांदा और जनजातीय समुदाय से होने का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार के प्रयासों से आय में वृद्धि के साथ-साथ बड़ी संख्या में रोजगार के साधनों में भी बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने बिजली, पानी, गैस कनेक्शन, स्वच्छ भारत योजनाओं का उदाहरण दिया और कहा कि ऐसे अभियानों से उन्हें सबसे ज्यादा लाभ मिला है।

‘एक जिला एक उत्पाद’ योजना के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि हर जिले के विशेष उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, “ऐसे उत्पादों की बिक्री के लिए देश के रेलवे स्टेशनों पर विशेष स्टॉल भी निर्मित किये जा रहे हैं।” उन्होंने सरकार द्वारा राज्यों की हर राजधानी में विकसित किए जा रहे एकता मॉल का भी उल्लेख किया, जो राज्य और जिले के हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों को बढ़ावा देगा। इससे हथकरघा क्षेत्र से जुड़े लोगों को लाभ होगा। श्री मोदी ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में बने एकता मॉल का भी जिक्र किया, जो पर्यटकों को भारत की एकता का अनुभव करने के साथ एक ही छत के नीचे किसी भी राज्य के उत्पाद खरीदने का अवसर प्रदान करता है।

जैम पोर्टल (सरकारी ई-मार्केटप्लेस) के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि सबसे छोटा कारीगर, शिल्पकार या बुनकर भी अपना उत्पाद सीधे सरकार को बेच सकता है। उन्होंने बताया कि हथकरघा और हस्तशिल्प से संबंधित लगभग 1.75 लाख संगठन आज जैम से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा, “यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है कि हथकरघा क्षेत्र के हमारे भाइयों और बहनों को डिजिटल इंडिया का लाभ मिले।

इससे पहले उद्घाटन समारोह के अपने स्वागत भाषण में, केंद्रीय वस्त्र, वाणिज्य और उद्योग तथा उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री पीयूष गोयल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को उनके दूरदर्शी नेतृत्व के लिए धन्यवाद दिया, जिसके तहत भारत की सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण किया जा रहा है। उन्होंने प्रोत्साहन और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए हथकरघा और खादी बुनकरों की ओर से आभार भी व्यक्त किया। श्री गोयल ने याद किया कि प्रधानमंत्री ने 2015 में 7 अगस्त को ‘राष्ट्रीय हथकरघा दिवस’ के रूप में घोषित किया था और भारत की विकास यात्रा में हथकरघा बुनकरों के योगदान को रेखांकित किया था।

श्री गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री दुनिया भर में भारतीय हथकरघा के ब्रांड एंबेसडर हैं, क्योंकि वे अक्सर वैश्विक राजनेताओं को भारतीय हथकरघा के उत्पाद उपहार स्वरूप देते हैं। श्री गोयल ने कहा कि इससे न केवल बुनकरों को पहचान मिलती है बल्कि भारतीय संस्कृति का दुनिया भर में प्रचार-प्रसार करने में भी मदद मिलती है।

मंत्री श्री गोयल ने कहा कि हथकरघा क्षेत्र ने भारत को स्वर्ण युग का उपहार दिया है। उन्होंने कहा कि #MyHandloomMyPride सिर्फ एक नारा नहीं है बल्कि भारतीय बुनकरों की आय बढ़ाने, उनकी गरिमा बढ़ाने और उन्हें सशक्त बनाने का एक अभियान है। उन्होंने कहा कि खादी, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का प्रतीक बन गई थी और वर्तमान में खादी भारत को एक विकसित और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के लक्ष्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

श्री गोयल ने कहा कि बुनकर न केवल कलाकार हैं, बल्कि जादूगर भी हैं, जो ज्ञान, कौशल और कला की सदियों पुरानी विरासत को आगे बढ़ाते हैं। उन्होंने कहा कि हथकरघा न केवल एक परंपरा है, बल्कि हमारी पहचान की अभिव्यक्ति है, क्योंकि प्रत्येक डिजाइन पीढ़ियों से चली आ रही गाथाओं और प्रेरणाओं को दर्शाता है। उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों के प्रमुख हथकरघा उत्पादों का उदाहरण दिया और कहा कि हथकरघा विरासत ‘विविधता में एकता’ और ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का प्रतीक है।

वस्त्र मंत्रालय और सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर केंद्रीय सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यम मंत्री श्री नारायण तातु राणे; केंद्रीय वस्त्र और रेल राज्य मंत्री श्रीमती दर्शन जरदोश तथा केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम राज्य मंत्री श्री भानु प्रताप सिंह वर्मा भी उपस्थित थे।

हथकरघा और खादी उत्सव में देश के विभिन्न भागों के लोग एक साथ शामिल हुए। इनमें देश भर के हथकरघा समूहों, राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईएफटी) परिसरों, बुनकर सेवा केंद्रों (डब्ल्यूएससी), भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएचटी) परिसरों, राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम (एनएचडीसी), हथकरघा निर्यात संवर्धन परिषद (एचईपीसी), केवीआईसी संस्थान और राज्य हथकरघा विभाग के प्रतिनिधि भी थे।

इस कार्यक्रम में देश भर से 3,000 से अधिक हथकरघा और खादी बुनकरों, कारीगरों और कपड़ा तथा एमएसएमई क्षेत्र के हितधारकों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम को देश भर के 75 क्लस्टर में 7,500 से अधिक हथकरघा बुनकरों ने दूरदर्शन पर लाइव देखा। हथकरघा और खादी बुनकरों ने भारत के हाथ से बुने हुए संग्रह का एक विशेष प्रदर्शन किया। प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए माननीय प्रधानमंत्री ने भारत के बुनकरों के बेहतरीन शिल्प कौशल और प्रतिभा की सराहना की तथा देश भर से आए बुनकरों के साथ बातचीत की।

बुनकरों के सशक्तिकरण पर बनी एक फिल्म – “संगठन से सफलता” ने बेरोजगारी और गरीबी को दूर करने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में हथकरघा के महत्व को रेखांकित किया। फिल्म में वस्त्र मंत्रालय द्वारा कौशल, विपणन और वितरण के अधिक संगठित और आपस में जुड़े इकोसिस्टम के परिणामस्वरूप भारतीय बुनकरों के जीवन और आजीविका पर हुए सकारात्मक प्रभाव को दिखाया गया है। “फैशन के लिए खादी” नामक एक विशेष फिल्म में रोजगार और आर्थिक दृष्टिकोण से खादी की प्रासंगिकता और महत्व को प्रदर्शित किया गया है।

प्रधानमंत्री ने वस्त्र और शिल्प भंडार का ई-पोर्टल – “भारतीय वस्त्र एवं शिल्पकोष” लॉन्च किया, जिसे निफ्ट ने विकसित किया है। ऑनलाइन कोष एक अनूठे ज्ञान भंडार के रूप में कार्य करेगा, जो भविष्य के विकास पर ध्यान देने के साथ वस्त्र, परिधान और संबंधित शिल्प की अतीत और वर्तमान स्थिति के संबंध में एक रूपरेखा तैयार करेगा। ई-पोर्टल प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना है, जिन्होंने 2017 में वस्त्र मंत्रालय को “प्रत्येक क्षेत्र की विशिष्टताओं को दर्शाते हुए भारतीय वस्त्रों की विविधता को सूचीबद्ध करने” के लिए प्रोत्साहित किया था। डिजिटल पोर्टल; वस्त्र, परिधान और वस्त्र निर्माण शिल्प से संबंधित क्षेत्रों पर शोध पत्र, केस स्टडी, शोध प्रबंध और डॉक्टरेट के लेख सहित विशाल डेटाबेस तक पहुंच भी प्रदान करेगा। यह एक ही जगह पर उपलब्ध संसाधन के रूप में काम करेगा, जो कपड़ा और शिल्प से संबंधित नए विकास कार्यों और वर्तमान घटनाओं पर जानकारी प्रदान करेगा।

प्रधानमंत्री ने देश भर के पुरस्कार विजेता बुनकरों, सहकारी समितियों, उत्पादक कंपनियों और महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा विशिष्ट हथकरघा, हस्तशिल्प और खादी उत्पादों की तीन दिवसीय प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस समारोह के हिस्से के रूप में, देश भर में विभिन्न पहलें की गई हैं। देश भर से हथकरघा बुनकर, उद्यमी और हथकरघा संगठन (प्राथमिक हथकरघा बुनकर सहकारी समितियां, शीर्ष समितियां आदि) अपने मूल हथकरघा और शिल्प को अधिक लोगों तक उपलब्ध और परिचित कराने के लिए हैंडलूम हाट में एकत्र हुए हैं। स्टालों के माध्यम से हथकरघा, हस्तशिल्प और जूट आदि उत्पादों का लाइव प्रदर्शन किया जा रहा है। हथकरघा और हस्तशिल्प की एक और प्रदर्शनी दिल्ली हाट में आयोजित की गई है, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से 160 बुनकरों और कारीगरों को ग्राहकों तक सीधी पहुंच की सुविधा मिल रही है। भारत के विशाल हथकरघा क्षेत्र के बारे में युवाओं के बीच अधिक जागरूकता पैदा करने के हिस्से के रूप में, राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय में दो सप्ताह की अवधि वाली एक आकर्षक शैक्षिक पहल का आयोजन किया गया है। यह पहल 75 स्कूलों के 10,000 से अधिक छात्रों को भारतीय हथकरघा की गहरी समझ प्रदान करेगी।

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