मेड इन इंडिया प्रोडक्ट की विदेशों में धूम, एक साल में 17% बढ़ा निर्यात

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एक समय था जब भारत में बनने वाले प्रोडक्ट्स को विदेशों में काफी कम मांग थी, इसके पीछे प्रमुख वजह थी कि एक तो देश में वस्तुएं कम से कम बनती थीं और दूसरी वजह यह थी कि आयात-निर्यात को लेकर पहले की सरकारों की नीतियां सही नहीं थीं। लेकिन पिछले 7-8 सालों में पीएम मोदी ने देश को मजबूत करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पहल किए, उसमें से एक खास पहल थी मेक इन इंडिया और मेड इन इंडिया। इन दोनों पहलों के बाद आज भारत ने अपने उत्पादों के लिए वैश्विक पहचान बनाई है। आज भारत ही नहीं, विदेशों में भी भारतीय वस्तुओं की काफी डिमांड है।

पीएम ने मन की बात में की तारीफ

27 मार्च, 2022 पीएम को मन की बात बताया था कि किस तरह भारतीय वस्तुओं की मांग विदेशों में तेजी से बढ़ रहा है। पीएम ने मन की बात में कहा था कि भारत ने पिछले सप्ताह 400 बिलियन डॉलर, यानी, 30 लाख करोड़ रुपये के export का target हासिल किया है। पीएम ने कहा कि एक समय में भारत से export का आंकड़ा कभी 100 बिलियन, कभी डेढ़-सौ बिलियन, कभी 200 सौ बिलियन तक हुआ करता था, अब आज, भारत 400 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है। इसका एक मतलब ये कि दुनिया भर में भारत में बनी चीज़ों की demand बढ़ रही है, दूसरा मतलब ये कि भारत की supply chain दिनों-दिन और मजबूत हो रही है और इसका एक बहुत बड़ा सन्देश भी है। पीएम ने कहा कि देश के कोने-कोने से नए-नए product अब विदेश जा रहे हैं। असम के हैलाकांडी के लेदर प्रोडक्ट (leather product) हों या उस्मानाबाद के handloom product, बीजापुर की फल-सब्जियां हों या चंदौली का black rice, सबका export बढ़ रहा है। अब, आपको लद्धाख की विश्व प्रसिद्द एप्रिकोट(apricot) दुबई में भी मिलेगी और सउदी अरब में, तमिलनाडु से भेजे गए केले मिलेंगे। अब सबसे बड़ी बात ये कि नए-नए products, नए-नए देशों को भेजे जा रहे हैं।जैसे हिमाचल, उत्तराखण्ड में पैदा हुए मिलेट्स(millets)मोटे अनाज की पहली खेप डेनमार्क को निर्यात की गयी। आंध्र प्रदेश के कृष्णा और चित्तूर जिले के बंगनपल्ली और सुवर्णरेखा आम, दक्षिण कोरिया को निर्यात किये गए। त्रिपुरा से ताजा कटहल, हवाई रास्ते से, लंदन निर्यात किये गए और तो और पहली बार नागालैंड की राजा मिर्च को लंदन भेजा गया। इसी तरह भालिया गेहूं की पहली खेप, गुजरात से Kenya और Sri Lanka निर्यात की गयी। यानी, अब आप दूसरे देशों में जाएंगे, तो Made in India products पहले की तुलना में कहीं ज्यादा नजर आएंगे।

पीएम ने बताया कि कैसे और किन लोगों की बदौलत इस मुकाम को हासिल किया जा सका है। उन्होंने मन की बात में कहा कि हमारे किसान, कारीगर, बुनकर, इंजीनियर, लघु उद्यमी, हमारा MSME सेक्टर, ढेर सारे अलग-अलग प्रोफेशन के लोग, ये सब इसकी सच्ची ताकत हैं। इनकी मेहनत से ही 400 बिलियन डॉलर के एक्सपोर्ट का लक्ष्य प्राप्त हो सका है और मुझे खुशी है कि भारत के लोगों का ये सामर्थ्य अब दुनिया के कोने-कोने में, नए बाजारों में पहुंच रहा है। जब एक-एक भारतवासी लोकल के लिए वोकल होता है, तब, लोकल को ग्लोबल होते देर नहीं लगती है।

निर्यात में 17 % की वृद्धि

भारत ने जून 2022 में 37.9 अरब डॉलर मूल्य के वस्तुओं का निर्यात किया है, जबकि इस अवधि में पिछले साल के डाटा से तुलना की जाए तो उस समय साल 2021 में निर्यात मूल्य 32.5 अरब डॉलर का था। जून 2021 की तुलना में 2022 में मतलब एक साल में यह वृद्धि 17 प्रतिशत के बराबर है। निर्यात की इन वस्तुओं में सूती वस्त्र उत्पाद, हथकरघा से बने कपड़े प्रमुख थे। सूती वस्त्र उत्पादों के निर्यात में जहां पिछले साल की तुलना में 2021-22 में 54 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, वहीं हथकरघा से बने कपड़े के निर्यात में पिछले साल की तुलना में 2021-22 में 51 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

चीन में भी बढ़ी मेड इन इंडिया प्रोडक्ट की मांग

दुनियाभर में चायनीज वस्तुओं का एक समय दबदबा था लेकिन हाल के वर्षों में भारतीय वस्तुओं की तरफ वैश्विक झुकाव तो हुआ ही है, साथ ही चीन में भी अब भारतीय वस्तुओं की डिमांड बढ़ी है। साल 2021 में भारत से चीन को निर्यात 22.9 अरब डॉलर पर पहुंच गया।

रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया

एक समय ऐसा था कि भारत को दुनिया के रक्षा उत्पादक देशों के तौर पर जाना जाता था। भारत, रक्षा उपकरणों के निर्यात के मामले में दुनिया के शीर्ष 25 देशों की सूची में शामिल हो गया है। मेड-इन-इंडिया एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर (एएलएच) ध्रुव मार्क III के एक स्क्वाड्रन को सेवा में शामिल किया गया है। सरकार का यह फैसला समुद्री निगरानी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। मेड-इन-इंडिया इन्फेंट्री कॉम्बैट व्हीकल को शामिल किया गया है, इससे लद्दाख क्षेत्र में भारतीय सेना की क्षमता बढे़गी। आज हम इतना तरक्की कर चुके हैं कि हमारी सरकार ने 209 रक्षा उपकरणों की एक सूची भी बनाई है, जिसके आयात को समयबद्ध तरीके से खत्म कर दिया जाएगा। भारत में ही निर्माण के लिए 460 से अधिक लाइसेंस जारी किए हैं।

स्मार्टफोन निर्यात की योजना

मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनी Vivo ने घोषणा की है कि वो इस साल से ‘मेड इन इंडिया’ स्मार्टफोन का निर्यात शुरू करेगी। यह भारत के लिए 7,500 करोड़ रुपये की प्रस्तावित विनिर्माण निवेश योजना के हिस्से के रूप में होगा। Vivo का लक्ष्य वार्षिक उत्पादन क्षमता को 6 करोड़ स्मार्टफोन यूनिट तक करना है। वर्तमान में 5 करोड़ यूनिट का उत्पादन करती है।

विदेशों में भारतीय कारों की खासी डिमांड

मार्च 2022 में भारतीय कार निर्माता कंपनी मारुति की दो कारें मारुति डिजायर और मारुति स्विफ्ट विदेशों को निर्यात की जाने वाली कारों में टॉप 5 में रहीं। मारुति डिजायर की कुल 6,578 कार विदेशों में भेजी गईं, जो सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट की गई कार रही। मारुति स्विफ्ट की कुल 4,962 कार एक्सपोर्ट की गई।

विदेशों में डिमांड

मेड इन इंडिया के उत्पाद हर साल औसतन 42 अलग-अलग विदेशी बाजारों में सप्लाई होते हैं। वास्तव में, इनमें से 92 प्रतिशत निर्यात 10 या उससे अधिक बाजारों में, 93 प्रतिशत निर्यात चार या अधिक महाद्वीपों को और अगर इन्हें सामूहिक रूप से देखा जाए तो ये वस्तुएं 210 बाजारों तक पहुंचीं। भारत से इन वस्तुओं का सबसे ज्यादा निर्यात संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और जर्मनी को हुए।

इन वस्तुओं का निर्यात

भारत से शीर्ष निर्यात उत्पादों में बढ़िया आभूषण, लूज डायमंड और रत्न शामिल हैं। इसके अलावा होम डेकोर, बेडरूम से संबंधित सामान, आयुर्वेद प्राकृतिक उपचार, ऑटोपार्ट्स और सहायक उपकरण भी विदेशों को निर्यात किये जा रहे हैं।

ई-कॉमर्स साइट पर इन राज्यों ने बाजी मारी

ई-कॉमर्स साइट ईबे पर दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल से काफी सारी वस्तुएं बेची जाती हैं। राजस्थान से, ईबे पर 39 प्रतिशत छोटे व्यवसायों ने फैशन ज्वैलरी का निर्यात किया और 35 प्रतिशत ने यूएस और यूके में ग्राहकों को लूज डायमंड और रत्नों का निर्यात किया।  इसके अलावा, ईबे पर नए विक्रेताओं की उच्चतम हिस्सेदारी वाले शीर्ष राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हैं बिहार (67%), हिमाचल प्रदेश (67%), गोवा (50%) जम्मू और कश्मीर (50%), झारखंड (50%) थे। , कर्नाटक (44%), ओडिशा (43%), उत्तराखंड (40%), पश्चिम बंगाल (38%) और गुजरात (37%)।

पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात

सबसे बड़ी बात कि महामारी के कारण कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि और रूस-यूक्रेन संकट के कारण भू-राजनीतिक तनाव से स्थिति खराब होने के बाद भी पेट्रोलियम उत्पादों ने भारत के निर्यात में प्रमुख योगदान दिया। भारत 55.5 अरब डॉलर मूल्य के पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात करता है, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 150 प्रतिशत अधिक है।

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