“विकसित भारत की यात्रा में महिलाएं बनेंगी अग्रदूत”-राज्यपाल

UTTARAKHAND NEWS

(देहरादून)01नवंबर,2025.

राजभवन, देहरादून में आयोजित एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक एवं नीतिगत कार्यक्रम में उत्तराखंड के माननीय राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) ने “Mountains of Labour, Currents of Change—Women’s Livelihoods and Economic Transitions in the Indian Himalayan Region and Uttarakhand” पुस्तक का लोकार्पण किया। यह पुस्तक प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल, प्रोफेसर राजेन्द्र पी. ममगाईं और सुश्री श्रुति धौंढियाल द्वारा संयुक्त रूप से लिखी गई है। पुस्तक भारतीय हिमालयी क्षेत्र की महिलाओं की आजीविका और आर्थिक बदलावों पर आधारित अब तक के सबसे व्यापक अध्ययनों में से एक है।

राज्यपाल ने अपने संबोधन में पुस्तक के लेखकों और शोध टीम की सराहना करते हुए कहा कि यह पुस्तक न केवल शैक्षणिक जगत के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि नीति-निर्माण में भी मार्गदर्शक सिद्ध होगी। उन्होंने बताया कि यह शोध “वन यूनिवर्सिटी, वन रिसर्च” की भावना को साकार करता है और उत्तराखंड के विकास को जमीनी स्तर से समझने का प्रयास करता है।

पुस्तक का आधार वर्ष 2024–25 के दौरान उत्तराखंड के छह जिलों में किए गए 900 परिवारों के सर्वेक्षण पर आधारित है, जिसमें मात्रात्मक व गुणात्मक शोध पद्धतियों का समावेश है। अध्ययन में यह रेखांकित किया गया है कि पर्वतीय पारिस्थितिकी और पारिवारिक ढांचे को संरक्षित करने में महिलाओं की भूमिका केंद्रीय है।

अध्ययन में यह महत्वपूर्ण निष्कर्ष भी सामने आया कि कृषि में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी सशक्तिकरण का संकेत नहीं, बल्कि ग्रामीण संकट और पलायन की वास्तविकता को दर्शाती है। इसमें यह भी तर्क दिया गया है कि केवल शिक्षा से ही महिलाओं का सशक्तिकरण नहीं हो सकता, बल्कि बाल देखभाल, परिवहन, स्थानीय रोजगार और लचीले कार्य अवसरों जैसी सुविधाएँ अत्यावश्यक हैं।

राज्यपाल ने कहा कि महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण ही विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने का आधार है। उन्होंने कहा, “जब शोध जनता और भूमि की भाषा में बोलता है तो वह परिवर्तनकारी बन जाता है।” उन्होंने लेखकों को राज्य और राष्ट्र के लिए उनके समग्र योगदान हेतु बधाई दी।

कार्यक्रम में प्रोफेसर डंगवाल ने कहा कि यह शोध भारतीय हिमालयी क्षेत्र में आजीविका और श्रम अध्ययन की कमी को दूर करता है, वहीं प्रोफेसर ममगाईं ने पुस्तक के चौदह अध्यायों की संरचना और उसके व्यापक परिप्रेक्ष्य पर प्रकाश डाला।

इस अवसर पर दून विश्वविद्यालय के वरिष्ठ शिक्षकों, शोधकर्ताओं सहित अन्य आमंत्रित अतिथि उपस्थित रहे।

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