(नई दिल्ली)06दिसंबर,2025.
आईआईएसएफ का 11वां संस्करण 6 से 9 दिसंबर 2025 तक हरियाणा के पंचकूला में आयोजित किया जाएगा। इस प्रमुख आयोजन में प्रदर्शनियाँ, व्यावसायिक बैठकें, प्रतियोगिताएँ और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे जो प्रयोगशालाओं और समाज के बीच की खाई को पाटेंगे।
आईआईएसएफ का उद्देश्य पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों को आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान से जोड़ना है, जिससे भारत की स्वदेशी ज्ञान विरासत और समकालीन वैज्ञानिक अन्वेषण के बीच की कड़ी मजबूत होगी।
भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ) 2025 का विषय – “विज्ञान से समृद्धि: आत्मनिर्भर भारत के लिए” एक आत्मनिर्भर और समृद्ध भारत के लिए विज्ञान-आधारित विकास की भावना का उत्सव मनाना और उसे आगे बढ़ाना है। यह विज्ञान को राष्ट्रीय विकास के केंद्र में रखता है और आत्मनिर्भरता एवं आर्थिक विकास को मजबूत करने में वैज्ञानिक अनुप्रयोगों की भूमिका पर प्रकाश डालता है।
इसके अलावा, आईआईएसएफ 2025 पांच व्यापक विषयों पर ध्यान केंद्रित करेगा:
उत्तर-पश्चिम भारत और हिमालयी क्षेत्र का विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पारिस्थितिकी;
समाज और शिक्षा के लिए विज्ञान;
विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत;
जैव प्रौद्योगिकी और जैव-अर्थव्यवस्था; तथा
आधुनिक विज्ञान के साथ पारंपरिक ज्ञान का एकीकरण।
विज्ञान क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं, स्कूली बच्चों, युवा उद्यमियों और शुरुआती करियर वाले शोधकर्ताओं के लिए भी विशेष सत्रों की योजना बनाई गई है, जो महोत्सव के समावेशी चरित्र को और मजबूत करेंगे।
राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, विश्वविद्यालयों और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों के वैज्ञानिक और शोधकर्ता
विद्यालयों और महाविद्यालयों के विद्यार्थी, शिक्षक और युवा नवोन्मेषक
स्टार्टअप, इनक्यूबेटर, उद्योग जगत के प्रतिनिधि और निवेशक
विज्ञान संचारक, लेखक और मीडिया पेशेवर
कम प्रतिनिधित्व वाले समूहों की महिला वैज्ञानिक और शोधकर्ता
केंद्र और राज्य सरकारों के नीति-निर्माता
इस आयोजन का व्यापक स्तर पर संस्थानों के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान को मज़बूत बनाता है। यह भारत की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पहलों में संरचित संवाद, प्रौद्योगिकी प्रदर्शन, प्रदर्शनियों और विशेषज्ञों की भागीदारी को संभव बनाता है।
आईआईएसएफ 2025 में सम्मिलित संस्थान
इस वर्ष आईआईएसएफ 2025 का आयोजन पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) द्वारा किया जाएगा और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) पुणे द्वारा इसका समन्वय किया जाएगा। इसमें विषयगत क्षेत्रों को राष्ट्रीय विज्ञान प्राथमिकताओं के साथ संरेखित किया जाएगा और प्रमुख सरकारी एजेंसियों, अनुसंधान संस्थानों और शैक्षणिक भागीदारों की भागीदारी का समन्वय किया जाएगा।(साभार एजेंसी)




