राष्ट्रीय महिला आयोग देश की महिलाओं को उद्यमिता से बना रहा ”आत्मनिर्भर”

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देश की नारी शक्ति ने राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। इसके कई प्रमाण हमारे सामने मौजूद हैं। आज महिलाएं घर का चूल्हा-चौका करने और घर की चारदीवारी के बीच बिताने वाली जिंदगी से निकल नए मुकाम तय कर रही है। जी हां, लगभग प्रत्येक क्षेत्र में आज इनकी सहभागिता सुनिश्चित हो चुकी है। यहां तक कि जिन कार्य क्षेत्रों को पुरुषप्रधान माना जाता  था अब उनमें भी ये शामिल हो गई हैं। आज भारत की नारी रेल चलाने से लेकर प्लेन तक उड़ा रही हैं।

इसी कड़ी में भारतीय महिलाओं को और अधिक सशक्त बनाने के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग ने एक और पहल की है। दरअसल, केंद्र सरकार ऐसा करके महिलाओं को उद्यम क्षेत्र में उतारना चाहती है ताकि उनके कौशल से भारतीय अर्थव्यवस्था को और अधिक मजबूती मिल सके।

NCW और IIM बैंगलोर ने मिलकर शुरू किया प्रोग्राम

इस उद्देश्य के लिए, राष्ट्रीय महिला आयोग ने भारतीय प्रबंधन संस्थान बैंगलोर के साथ मिलकर एक प्रोग्राम शुरू किया है। इसमें महिलाओं को प्रबंधन, नवाचार और उद्यमिता में उत्कृष्टता को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा इच्छुक महिलाओं की डिजिटल शिक्षा को समर्थन और प्रायोजित करने के लिए हिंदी में एक सहयोगी ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम की कल्पना की गई है। उद्यमी पाठ्यक्रम के सफल समापन के बाद, चयनित प्रतिभागियों को हमारे ज्ञान और सलाहकार भागीदार, इंडिया एसएमई फोरम, भारत के छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए सबसे बड़ा गैर-लाभकारी संगठन, द्वारा सलाह और इनक्यूबेट होने का एक विशेष मौका मिलेगा। प्रोग्राम में भाग लेने के लिए आप https://innovateindia.mygov.in/ की साइट पर विजिट कर सकते हैं।

उद्यमिता से देश की महिलाओं को बनाया जा रहा ”आत्मनिर्भर” 

जी हां, राष्ट्रीय महिला आयोग सर्वोच्च वैधानिक संगठन है जो महिलाओं को जीवन के सभी क्षेत्रों में समानता और समान भागीदारी हासिल करने में सक्षम बनाने की दिशा में काम कर रहा है। भारत में महिलाओं की भूमिका का निरंतर विस्तार हो रहा है। ”आत्मनिर्भर भारत” अभियान महिलाओं की क्षमता को देश के विकास के साथ जोड़ रहा है। परिणाम हमारे सामने है। आज मुद्रा योजना की लगभग 70 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं। देश में पिछले 6-7 वर्षों में महिला स्वयं सहायता समूहों की संख्या तीन गुना बढ़ गई है।

60 हजार से ज्यादा नए स्टार्टअप, 45 % में कम से कम एक महिला निदेशक

इसी तरह, 2016 के बाद 60 हजार से ज्यादा नए स्टार्टअप्स बने हैं, इनमें से 45 प्रतिशत में कम से कम एक महिला निदेशक हैं। ऐसे तमाम उदाहरण हमारे सामने हैं जो बताते हैं कि अब महिला किसी भी क्षेत्र में पिछड़ी नहीं कहलाएंगी। पिछले 7 सालों में देश की नीतियां महिलाओं को लेकर और अधिक संवेदनशील हुई हैं।

अपने यहां सबसे अधिक मातृत्व अवकाश देता है भारत

आज भारत उन देशों में है जो अपने यहां सबसे अधिक मातृत्व अवकाश देता है। कम उम्र में शादी बेटियों की पढ़ाई और करियर में बाधा न बने, इसके लिए बेटियों की शादी की उम्र को 21 साल करने का प्रयास है। केवल इतना ही नहीं कला के प्रति अपने लगाव को बनाए रखते वाली महिलाओं को भी मौका मिल रहा है। एक आर्थिक लाभ का माध्यम बनाने और लुप्त होती कलाओं को पुनर्जीवित करने का इससे सुनहरा मौका और कहां मिलेगा । जी हां इन्हें भी केंद्र सरकार द्वारा काफी मदद पहुंचाई जा रही है।

पहले महिला सशक्तिकरण को देखा जाता था सीमित दायरे में

देश में महिला सशक्तिकरण को सीमित दायरे में देखा जाता था, गांव में गरीब परिवारों की महिलाएं इससे दूर थीं। आज महिला सशक्तीकरण का चेहरा वो 9 करोड़ गरीब महिलाएं भी हैं जिन्हें पहली बार गैस कनेक्शन मिला है, धुएं से आजादी मिली है। आज महिला सशक्तीकरण का चेहरे वो करोड़ों माताएं-बहनें भी हैं जिन्हें उनके घर में शौचालय मिला है। महिला सशक्तिकरण का चेहरा वो माताएं हैं जिनके सिर पर पक्की छत मिली है, जिनके नाम से प्रधानमंत्री आवास बने हैं। करोड़ों महिलाओं को गर्भावस्था और प्रसव के समय सहायता मिलती है, जनधन बैंक खाता मिला है, सरकार की सब्सिडी सीधे महिलाओं के खाते में जमा होती है तो ये महिलाएं महिला सशक्तिकरण और बदलते हुए भारत का चेहरा बनती हैं
आर्थिक स्वतंत्रता महिला सशक्तिकरण की कुंजी

वहीं, आर्थिक स्वतंत्रता ही महिला सशक्तिकरण की असल कुंजी है। इसलिए एनसीडब्ल्यू का उद्देश्य महिला उद्यमियों को उनके उद्यमशीलता उद्यमों को विकसित करने और बनाए रखने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल तक पहुंच प्रदान करके देशभर में महिलाओं के लिए एक स्थायी प्रभाव पैदा करना है। ये महिलाएं यह ज्ञान और कौशल प्राप्त कर भारत के विकास की गाथा में एक नया अध्याय जोड़ने को तैयार है। आज भारत में ऐसी अनेकों महिलाएं हैं जो किसी मल्टी नेशनल कंपनी की सीईओ हैं। न्यू इंडिया के ग्रोथ साइकल में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है

विभिन्न स्तर पर महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के अवसर

महिला उद्यमिता, डिजिटल साक्षरता, कानूनी जागरूकता, क्षमता निर्माण, ऑनलाइन प्रशिक्षण और महिलाओं के व्यक्तित्व विकास को लेकर आयोग द्वारा चलाए जा रहे हैं। इसके अलावा आयोग ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे- कोविड महामारी के दौरान, एनसीडब्ल्यू ने गर्भवती महिलाओं के लिए एक व्हाट्सएप हेल्पलाइन नंबर लॉन्च किया। महिलाओं को हर समय मदद पहुंचाने के लिए 24/7 हेल्पलाइन भी जारी की।

भागीदारी की दर में होगा सुधार

महिलाओं को उद्यमिता में केंद्र सरकार का समर्थन मिलने से उनमें विश्वास की लौ और अधिक तेज जलेगी। इसके लिए सरकार भी पुरजोर कोशिशें कर रही है। फिलहाल राष्ट्रीय महिला आयोग महिलाओं के लिए ”एम्पावरिंग वूमन थ्रू एंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम” लेकर आया है जिसमें महिला एंटरप्रेन्योर बन सकती हैं और अपना स्टार्टअप तैयार कर अपने पैरों पर खड़ी हो सकती हैं। इससे महिलाओं की उद्यमिता में भागीदारी को बल मिलेगा।

भाषाई विविधता को मिलेगा बढ़ावा 

इससे पहले राष्ट्रीय महिला आयोग ‘एम्पावरिंग वूमन थ्रू एंटरप्रेन्योर  शिप प्रोग्राम” अंग्रेजी में शुरू कर चुका है जिसके जरिए बहुत से महिलाएं एंटरप्रेन्योर बनकर कार्य कर रही है। लेकिन इस बार बारी है हिंदी भाषी महिलाओं की। जी हां, आयोग द्वारा भाषाई विविधता को बढ़ावा देने, भागीदारी की दर में सुधार लाने और सीखने के परिणामों को बढ़ाने और क्षेत्रीय पहुंच का विस्तार करने के लिहाज से इस प्रोग्राम को अब हिंदी में फिर से संकल्पित किया गया है। यह एक व्यावहारिक, क्रिया-उन्मुख व्यवसाय और प्रबंधन पाठ्यक्रम है जो प्रतिभागियों को एक व्यवस्थित, वैज्ञानिक और आपके विचारों और अवसरों के परीक्षण की एक आसान प्रक्रिया से परिचित कराता है। चयनित प्रतिभागी “डू योर वेंचर” के बारे में सीखेंगे, जो उन्हें उद्यमियों द्वारा अपना स्वयं का उद्यम शुरू करने के सामान्य रास्ते सिखाएगा। वे विचारों को उत्पन्न करने के लिए उपकरणों और तकनीकों को भी सीखेंगे और फिर क्षेत्र में अपने विचारों का परीक्षण करेंगे और प्रतिक्रिया एकत्र करेंगे।

2015 से अब तक, 185 महिलाओं को पद्म पुरस्कारों से  किया जा चुका सम्मानित

साल 2015 से लेकर अब तक, 185 महिलाओं को उनके अभूतपूर्व कार्यों के लिए पद्म सम्मान दिया गया है। इस वर्ष भी, 34 पद्म पुरस्कार अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रही महिलाओं को मिले हैं। यह अपने आप में रिकॉर्ड है क्योंकि आज तक कभी इतनी ज्यादा महिलाओं को पद्म सम्मान नहीं मिला है। विभिन्न क्षेत्रों में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के केंद्र सरकार के अवसर महिलाओं को प्राप्त हो रहे हैं।

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