IT और इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में आगे की राह बुलंद कर रहा भारत

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भारत के आईटी क्षेत्र ने विश्व भर में अपनी धाक जमाई है। केवल इतना ही नहीं भारत के आईटी प्रोफेशनल्स ने तो विश्व में अपना नाम कमाया है। अब भारत उससे भी आगे की यात्रा तय करने के मार्ग पर है। ऐसे में इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय इस दिशा में निरंतर प्रयास कर रहा है। न केवल आईटी बल्कि इलेक्ट्रॉनिक्स को लेकर भी भारत सरकार लगातार प्रयास कर रही है। ‘भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात एवं जीवीसी हिस्सेदारी में वृद्धि’ के लिए देश के युवाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है। खासतौर से मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े क्षेत्र में।

देश के समक्ष अभूतपूर्व अवसरों की लगी झड़ी

कोविड के बाद की दुनिया में काफी बदलाव हुए हैं। इस कालखंड में पीएम मोदी के मजबूत नेतृत्व और दूरदर्शी सोच ने विश्वास बहाली, नीति निर्माण, निवेश, रोजगार और वैश्विक मूल्य श्रृंखला में विश्वास के लिए उल्लेखनीय योगदान दिया है। इन सबने मिलकर देश के समक्ष अभूतपूर्व अवसरों की झड़ी लगा दी है। जी हां, जो भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में पहले कभी नहीं देखा गया था, वो अब होने जा रहा है। भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र भी अब नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।

दुनिया में मोबाइल हैंडसेट के दूसरे सबसे बड़े विनिर्माता के रूप में उभरा भारत

जी हां, भारत दुनिया में मोबाइल हैंडसेट के दूसरे सबसे बड़े विनिर्माता के रूप में उभर कर सामने आया है। पहले पूरी दुनिया भारत को एक अलग नजरिए से देखा करती थी। विश्व के अधिकतर देश पहले भारत को एक बाजार के रूप में देखते थे। बाहरी मुल्क के व्यवसायी भारत में अपना तैयार माल लाकर बेचते थे। लेकिन आज वह तस्वीर पलट चुकी है। भारत आज विश्व का नेतृत्व करने की भूमिका में है। आंकड़े भी बताते हैं कि जो भारत 2014-15 में 6 करोड़ हैंडसेट का उत्पादन किया करता था वह अब 30 करोड़ हैंडसेट (2020-21) की मैन्युफैक्चरिंग तक पहुंच गया है। केवल इतना ही नहीं देश में आज 200 से अधिक इकाइयां सेलुलर मोबाइल फोन और पुर्जों का निर्माण कर रही हैं जो 2014 में केवल 2 इकाइयों तक ही सीमित हुआ करती थीं। मोबाइल हैंडसेट का उत्पादन 2014-15 में 19,000 करोड़ रुपए से बढ़कर 2020-21 में 2,20,000 करोड़ रुपए का हो गया है। इन प्रयासों से आत्मनिर्भर भारत बनने की दिशा में एक उल्लेखनीय योगदान अदा किया गया है।

मोबाइल फोन की भारत के इलेक्ट्रॉनिक वस्तु सेक्टर निर्यात में प्रमुख हिस्सेदारी

हम सभी जानते हैं कि मोबाइल फोन की भारत के इलेक्ट्रॉनिक वस्तु सेक्टर निर्यात में प्रमुख हिस्सेदारी है। इस सेक्टर में आईटी हार्डवेयर (लैपटॉप, टैबलेट), उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स (टीवी, एवं ऑडियो), औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट, एलईडी लाइटिंग, स्ट्रैटेजिक इलेक्ट्रॉनिक्स, पीसीबीए, वीयरेबल्स तथा हियरेबल्स तथा दूरसंचार उपकरण शामिल हैं।

इन सबके बावजूद भारत में इन उद्योगों की उत्पाद श्रेणियों को अपने विस्तार पर ध्यान देने की अत्यधिक जरूरत है ताकि विश्व में नए बाजारों और नए प्रकार के उपभोक्ताओं की जरूरतों को पूरा किया जा सके और देश के लिए लाभ अर्जित किया जा सके। इसके साथ-साथ हमें यह ध्यान में रखना होगा कि हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं, जहां नवाचार में हार्डवेयर की भूमिका कम होती है जबकि सॉफ्टवेयर अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

गर्व की बात है कि इस परिदृश्य में भी भारत के पास इलेक्ट्रॉनिक्स डिजाइन, सिस्टम डिजाइन के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में अपनी ताकत का उपयोग करने की क्षमता है। इस दिशा में और अधिक तेजी से आगे बढ़ने के लिए राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति, 2019 को लाया गया। केंद्र सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम वाकयी काबिल-ए-तारीफ है। क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय का परिणाम एक बेहतर भविष्य प्रदान करना है।

सरकार द्वारा उठाए गए कदम

बता दें, सरकार द्वारा उठाए गए कदमों में से जिनमें–राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति, 2019 जिसमें इलेक्ट्रॉनिक्स, सिस्टम डिजाइन एवं विनिर्माण (ईएसडीएम) के लिए एक वैश्विक हब के रूप में भारत को स्थापित करने की परिकल्पना की गई है, के तहत बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रोनिक्स विनिर्माण के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन स्कीम (पीएलआई), आईटी हार्डवेयर के लिए पीएलआई, इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट तथा सेमीकंडक्टरों के विनिर्माण के संवर्धन के लिए स्कीम (स्पेक्स), मोडीफायड इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर्स (ईएमसी 2.0) के निर्माण सहित मोबाइल फोन समेत इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं के घरेलू विनिर्माण तथा निर्यात में बढोतरी की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त, लागू कानूनों के अध्याधीन इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए ऑटोमैटिक रूट के तहत 100 प्रतिशत तक के एफडीआई की अनुमति है। मोबाइल फोनों तथा उनके सब-असेंबली/ पार्ट्स विनिर्माण में घरेलू मूल्य वर्धन को बढ़ावा देने के लिए चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) को अधिसूचित किया गया है। सेलुलर मोबाइल फोन सहित इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए टैरिफ संरचना को युक्तिसंगत बनाया गया है। कल्पना की जा सकती है कि राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति, 2019 देश के कितना काम आने वाली है।

300 बिलियन डॉलर की रूपरेखा

याद हो, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 24 जनवरी 2022 को इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर के लिए 5 वर्षीय रोडमैप तथा विजन दस्तावेज के द्वितीय संस्करण का अनावरण किया। पहला संस्करण का अनावरण नवंबर, 2021 में किया गया था। विजन दस्तावेज में वर्तमान 75 बिलियन डॉलर की तुलना में अगले पांच वर्षों की अवधि में भारत को एक 300 बिलियन डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण पावर हाउस के रूप में रूपांतरित करने की रूपरेखा बनाई गई है। यह 2026 तक इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं के निर्यात को भारत के शीर्ष 2-3 निर्यात रैकिंग के बीच लाने में सहायता करेगा। वहीं इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं के निर्यात के 2021-22 में अनुमानित 15 बिलियन डॉलर से बढ़ कर 2026 तक 120 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है।

विजन 1,000 डेज

इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय के विजन 1,000 डेज के तहत जारी किया गया  ‘भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात एवं जीवीसी हिस्सेदारी में वृद्धि’ पर दृष्टिपत्र (खंड-I) आत्मनिर्भर भारत के लिए 1 लाख करोड़ डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य निर्धारित करता है। यह दृष्टिपत्र (खंड-I) वैश्विक मूल्य श्रृंखला में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने और वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में पर्याप्त हिस्सेदारी हासिल करने के लिए बड़े पैमाने पर विनिर्माण क्षमताओं का निर्माण करने के अवसरों और महत्वपूर्ण इनपुट पर केंद्रित है। इसे इंडियन सेल्युलर इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) ने उद्योग जगत के परामर्श से तैयार किया है। यह दृष्टिपत्र एक कॉल टु एक्शन है जो प्रतिस्पर्धी देशों के खिलाफ बेंचमार्क निर्धारित करते हुए चुनौतियों का विश्लेषण करता है और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात बढ़ाने के लिए सफलता के प्रमुख कारकों की रूपरेखा तैयार करता है। यह 1,000 दिनों में व्‍यापकता, प्रतिस्पर्धात्मकता और घरेलू मूल्यवर्धन को बेहतर करने की सिफारिश करता है। बता दें, विजन 1,000 डेज का यह लक्ष्य बीते साल नवंबर 2021 में तय किया गया था।

भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स 2025 तक 300 अरब डॉलर का उद्योग होगा

इलेक्ट्रॉनिक्स की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत को एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाना पीएम मोदी का दृष्टिकोण ‘लोकल गोज ग्‍लोबल’ है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स 2025 तक 300 अरब डॉलर का उद्योग होगा। लेकिन इसके लिए देश में ‘डिजिटल क्रांति’ में तेजी लाना बेहद जरूरी है। पीएम मोदी का मानना है कि कोई भी योजना सरकार द्वारा चलाई ही नहीं जाती बल्कि लोगों द्वारा जन आंदोलन बनाकर अपनाई भी जाती है। पीएम मोदी अपने स्वभाव और समर्पण के अनुरूप सामान्य जन को आईटी से जोड़कर ‘डिजिटल क्रांति’ को और भी ज्यादा सार्थक बनाना चाहते हैं।

केंद्र सरकार के आह्वान पर युवा प्रोफेशनल्स आए आगे

यह बात भी सत्य है कि सरकार की बजट और योजनाएं हो सकती हैं लेकिन किसी भी पहल की सफलता उसमें शामिल लोगों की भागीदारी से मिलती है। ऐसे में लोगों को इस सेक्टर में आगे आना होगा। ऐसे में केंद्र सरकार ने सीधे संवाद कर देश के तमाम युवा आईटी प्रोफेशनल्स को आगे आने का आह्वान किया। काम की बात है कि यह युवा प्रोफेशनल्स बीते कुछ सालों में इस क्षेत्र में तेजी से आगे आए हैं और केंद्र सरकार के साथ सहयोग कर रहे हैं।

भारत के आईटी प्रोफेशनल्स की पूरी दुनिया में डिमांड

पूरी दुनिया ने भारत के युवाओं को प्रौद्योगिकी की ताकत का बड़े अच्छे ढंग से उपयोग करते हुए देखा है। इसलिए भारत के आईटी प्रोफेशनल्स की पूरी दुनिया में डिमांड है। तभी तो आज भारत तेजी से बदल रहा है। देश के युवा आज प्रौद्योगिकी का उपयोग न केवल अपने लिए, बल्कि दूसरे लोगों के कल्‍याण के लिए भी कर रहे हैं। युवाओं ने इसे एक अद्भुत संकेत के रूप में वर्णित किया है। सामाजिक क्षेत्र में अनेक स्‍टार्ट-अप्स इस बात का बड़ा सबूत पेश करते हैं।

हम भी इस बदलाव का हिस्सा बनें

जरा सोचिए अगर हम भी इस बदलाव का हिस्सा बनें तो देश कभी गरीब या बैकवर्ड रह ही नहीं सकता। केवल हम अपने निर्धारित कार्यकलाप से परे हटकर कुछ अभिनव कार्य करें। आईटी क्षेत्र में सीखने और नई खोज करने की व्यापक गुंजाइश है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए साल 2018 में डिजिटल क्रांति में तेजी लाने के लिहाज से पीएम मोदी ने ‘मैं नहीं हम’ पोर्टल और एप लॉन्च किया था। याद हो उस दौरान आईटी और इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण से जुड़े प्रोफेशनलों से पीएम मोदी ने सीधा संवाद भी किया था।

स्वयं सेवा के प्रयासों से आईटी से जुड़े प्रोफेशनल कर सकते हैं कुछ बड़ा

‘मैं नहीं हम‘ पोर्टल ‘सेल्फ4सोसाइटी‘ की थीम पर काम कर रहा है। इससे आईटी पेशेवरों और संगठनों को सामाजिक मुद्दों और समाज की सेवा के लिए उनके किए गए प्रयासों को एक मंच पर लाने में मदद मिलेगी। ऐसा करने में यह पोर्टल समाज के कमजोर तबकों की सेवा में खासकर प्रौद्योगिकी के फायदों के जरिए बड़े सहयोग को बढ़ावा देने में उत्प्रेरक की भूमिका निभाने का कार्य करेगा। यह उम्मीद की जाती है कि समाज के हित में काम करने के लिए लोगों की भागीदारी बढ़ाने में भी यह पोर्टल बड़ा मददगार साबित होगा।

आईटी प्रोफेशनलों ने विशेषकर कौशल विकास और स्‍वच्‍छता के क्षेत्र में सामाजिक स्‍वयंसेवा के लिए तमाम प्रयास किए हैं। अनेक अवसरों पर जब ‘सरकार’ कुछ नहीं कर पाती है, तो अनेक स्थानों पर देश के ये स्टार्टअप और उनके साथ जुड़ी युवा पीढ़ी की नई सोच बदलाव लेकर आती है। याद हो पीएम मोदी ने साल 2018 में कृषि क्षेत्र में स्वयं सेवा के प्रयासों से आईटी से जुड़े युवा प्रोफेशनल्स को संभावनाओं का मार्ग दिखाया था। इस मार्ग पर चलकर आज आईटी प्रोफेशनल्स ने कृषि क्षेत्र में ड्रोन क्रांति ला दी है।

देश की रीढ़ स्टार्टअप

भारत आज अपने युवाओं की प्रतिभा के बल पर ही स्टार्टअप क्षेत्र में कीर्तिमान कायम कर रहा है। भारत, विश्व के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप अनुकूल तंत्र के साथ वैश्विक नवाचार केन्द्र के रूप में भी उभर रहा है। भारत के 55 उद्योगों में 61 हजार से अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप मौजूद हैं। इनमें से 45 प्रतिशत टियर 2 और 3 शहरों में उभरे हैं। 16 जनवरी 2022 को राष्‍ट्रीय स्‍टार्टअप दिवस के रूप में मनाने की घोषणा के साथ पीएम मोदी ने स्टार्टअप को देश की रीढ़ बताते हुए कहा था कि ”यह दशक भारत में प्रौद्योगिकी का दशक होगा जिसे टेकेड कहा जाएगा।”

युवाओं के सामर्थ्य के अनुरूप सरकार बना रही नीतियां

अब इसी क्रम में भारत आगे बढ़ रहा है। इसके लिए ऐसे भारत का सृजन करना महत्वपूर्ण है, जहां सबके लिए समान अवसर हो। इस बात को ध्यान में रखते हुए वर्तमान में केंद्र सरकार युवाओं को आगे लाने में मदद कर रही है। भारत अपने युवाओं के इस सामर्थ्य को पहचानते हुए नीतियां बना रहा है, निर्णय लागू कर रहा है। भारत सरकार ने अनेकों हैकेथॉन्स का आयोजन करके नौजवानों को अपने साथ जोड़ा है। सरकार के अलग-अलग विभाग, अलग-अलग मंत्रालय, नौजवानों और स्‍टार्ट अप के साथ संपर्क में रहते हैं। उनके नए आइडियाज को प्रोत्साहित करते हैं। चाहे नए ड्रॉन रूल्‍स हो या फिर नई स्‍पेस पॉलिसी, सरकार की प्राथमिकता ज्यादा से ज्यादा युवाओं को इनोवेशन का मौका देने की है।

नवाचार का मंत्र

भारत के र्स्‍टाट अप आसानी से खुद को दूसरे देशों तक पहुंचा सकते हैं। मौजूदा दशक नवाचार और नई सोच का युग है। इसलिए केंद्र सरकार भी नवाचार के मंत्र के साथ युवाओं को इनोवेशन के लिए प्रोत्साहित करती रहती है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था से लेकर उद्योग तक हमारी जरूरतें और क्षमताएं असीमित हैं। भविष्य की प्रौद्योगिकी के विकास और अनुसंधान पर निवेश करना सरकार की प्राथमिकता है। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए यह कदम 1 ट्रिलियन डॉलर डिजिटल अर्थव्यवस्था तथा 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी अर्जित करने में उल्लेखनीय रूप से योगदान देंगी।

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