अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में बेरोजगारी दर में आई कमी

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संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर का बजट पेश किया गया। बजट के ग्रामीण विकास, उद्योग, कृषि क्षेत्र और पर्यटन के विकास को सेंटर में रखा गया है। उन्होंने कहा कि यह एक समावेशी बजट है और सभी क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाएगा। जम्मू-कश्मीर सरकार किसानों की आय को दोगुना करने का प्रयास करेगी।

बेरोजगारी दर हुई कम

इस दौरान वित्त मंत्री ने बताया कि जम्‍मू-कश्‍मीर में बेरोजगारी कम हुई है। वित्त मंत्री ने भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था निगरानी केंद्र के हवाले से बताया कि जम्‍मू-कश्‍मीर में 2016 में बेरोजगारी की दर 20 प्रतिशत थी, जो इस वर्ष फरवरी में 13.2 प्रतिशत हो गई है। सरकार ने कई जगहों पर गैरकानूनी तरीके से हो रही भर्तीयों को रोका और योग्य वयक्ति को रोजगार प्रदान कराया।

4600 से अधिक कश्मीरी पंडितों को घाटी में नौकरी

वित्त मंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर में 33 फीसदी मुठभेड़ों में कमी आई है और 90 फीसदी से अधिक संघर्ष विराम के उल्लंघन में कमी आई है। पत्थरबाजी की घटनाएं भी कम हुई है। कश्मीरी पंडितों के लिए विशेष योजना के माध्यम से 4600 से अधिक कश्मीरी पंडितों को घाटी में नौकरी दी गई है।

जम्मू कश्मीर के लिए 1.42 लाख करोड़ का बजट

दरअसल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर का 1.42 लाख करोड़ का वर्ष 2022-23 का बजट लोकसभा में पेश किया। वित्त मंत्री ने इसके साथ ही 2021-22 की करीब 18860.32 करोड अनुपूरक मांगों से जुड़ा प्रस्ताव पेश किया। लोकसभा ने इस पर चर्चा कर इसे पारित कर दिया।

890 केंद्रीय कानून राज्य में लागू

इस दौरान सदस्यों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद अब 890 केंद्रीय कानून राज्य में लागू हो गए हैं। साथ ही राज्य से जुड़े सभी भेदभाव पूर्ण कानून भी हटाए गए हैं। अब देश में दो निशान दो प्रधान और दो संविधान नहीं है। वाल्मीकि समुदाय के लोगों को जम्मू कश्मीर में अब नौकरी करने का अधिकार मिला है।

उन्होंने बताया कि राज्य में 370 हटाने के बाद 250 राज्य के कानून वापस लिए गए हैं और 150 कानूनों को संशोधित किया गया है। राज्य में अब रिकॉर्ड स्तर पर पर्यटक आ रहे हैं।

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