चीतों के साथ एनपीएस कार्मिकों की पुरानी पेंशन बहाली का भी ख्याल रखे केन्द्र सरकार: डॉ० पसबोला

UTTARAKHAND NEWS

देहरादून: जहां एक ओर केन्द्र सरकार द्वारा भारत में विलुप्त हो चुके चीतों की कमी पूरा करने के लिए विदेश से चीतों को मंगवाया गया है। जो कि भारत सरकार एक स्वागत योग्य कदम है। उसी प्रकार सरकार को देश में विलुप्त हो चुकी पुरानी पेंशन व्यवस्था को पुनर्जीवित करने का प्रयास करना चाहिए। जिससे कि देश के 75 लाख एनपीएस कार्मिक एवं उनके परिजन एनपीएस के काले कानून से मुक्त होकर ओपीएस के साथ दीवाली मना सकें।
राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा(NOPRUF) उत्तराखंड के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ० डी० सी० पसबोला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को चीते की परवाह तो है, किन्तु देश की 75 लाख एनपीएस कार्मिकों की अपने ही देश में सुध नहीं ली जा रही है। जिससे की एनपीएस कार्मिक अपने को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। उनके ऊपर एनपीएस का काला कानून थोप दिया गया है। एनपीएस कार्मिकों द्वारा कई बार प्रादेशिक और राष्ट्रीय स्तर पर आन्दोलन चलाकर एवं ज्ञापन देकर प्रदेश तथा केन्द्र सरकार तक अपनी बात पहुंचाने का प्रयास किया गया। किन्तु सरकार द्वारा एनपीएस कार्मिकों की पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाली की मांग पर गंभीरतापूर्वक ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सरकार का पूरा ध्यान चीतों पर ही है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष बी० पी० सिंह रावत ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री जी को चीता की चिंता है। हर तरफ चीते चीता  चीते की बात हर मीडिया पर दिन रात हो रही है। चीता आया चीते आए।   लेकिन चिंताजनक है कि देश के 75 लाख एनपीएस कार्मिकों की मांग पुरानी पेंशन बहाली मुद्दे पर अभी तक एक शब्द नहीं बोल पाए जो कार्मिक देश के अभिन्न अंग होते है, जो कि सरकार और जनता के बीच सेतु का कार्य करते हैं। जो कि निराशाजनक बात है। जिसका कि एनपीएस कार्मिक पुरजोर विरोध करते रहेंगे।
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