मत्स्य पालन से जुड़े किसान ऑनलाइन बेच सकेंगे मछलियां, मत्स्यसेतु ऐप में दिये गये ये खास फीचर

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देश में कृषि के कार्य से जुड़े उद्योग धंधों को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार कई योजनाएं चलाती है, जिससे कि  किसानों की आय दोगुनी की जा सके। ऐसे में केंद्र सरकार मत्स्य यानि मछली पालन से जुड़े किसानों के लिए भी कई योजनाएं चला रही है। मछुाआरों को मछली पकड़ने, उसके लिए बाजार के अलावा मौसम की सटीक जानकारी देने समेत कई सुविधाओं पर काम किया जा रहा है। इसी के तहत अब मछली की खरीद और बेच के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया गया है।

दरअसल, ‘मत्स्यसेतु’ मोबाइल ऐप में ऑनलाइन मार्केटप्लेस फीचर ‘एक्वा बाजार’ का शुभारंभ किया गया। यह ऑनलाइन मार्केटप्लेस मत्स्य किसानों और हितधारकों को मत्स्य संस्कृति के लिए आवश्यक सेवाएं उपलब्ध कराएगा। इसका उद्देश्य जलीय कृषि क्षेत्र में शामिल विभिन्न हितधारकों को आपस में जोड़ना है।

क्या है एक्वा बाजार फीचर का खासियत

अब मत्स्य सेतु मोबाइल एप पर ऑनलाइन मार्केट प्लेस क्वा बाजार की मदद से मछली किसानों और हितधारकों को जोड़ा जा रहा है, जिससे मछली के बीज, चारा, दवाएं और मछली पालन से जुड़े दूसरे संसाधनों के स्रोत मुहैया करवाये जायेंगे। इसके अलावा मछली किसान इस ऐप पर रजिस्ट्रेशन करके एक्वा बाजार फीचर से जुड़ सकते हैं, जिसके बाद मछली पालन के आवश्यक सेवाओं के अलावा इससे संबंधित सामानों को सूचीबद्ध करके शॉपिंग प्लेटफॉर्म तैयार कर सकते हैं।

यह फीचर मत्स्य पालकों को मछली की कीमतों के साथ उपलब्धता की तारीख इंगित करने का विकल्प देती है। मछली खरीदने की इच्छा रखने वाले खरीदार मत्स्य पालक किसानों से संपर्क करेंगे और उन्हें कीमतों की पेशकश करेंगे। निश्चित रूप से यह किसानों को मछली खरीदारों या खरीदार एजेंटों से ज्यादा व्यावसायिक जानकारी प्राप्त करने में मदद करेगा, जिससे बाजार की स्थिति के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने और किसानों के उत्पाद को बेहतर कीमत प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त होगा।

मत्स्य पालकों को होने वाली समस्याएं

दरअसल कई बार देखा गया है कि मत्स्य किसानों को मत्स्य पालन वाले मौसम में महत्वपूर्ण और गुणवत्तापूर्ण इनपुट जैसे मछली के बीज, चारा, चारा सामग्री, उर्वरक, पौष्टिक-औषधीय पदार्थ, एडिटिव्स, दवाएं आदि प्राप्त करने में कठिनाइयां होती है। इन इनपुटों की प्राप्ति में हुई किसी प्रकार की देरी से उनके मत्स्य पालन की उत्पादकता बुरी तरह प्रभावित होती है। कभी-कभी, किसानों को सेवाओं की भी आवश्यकता होती है- जैसे कि खेत निर्माण, किराये की सेवाएं, मछली पकड़ने के लिए जनशक्ति आदि। इसी प्रकार, कभी-कभी, मत्स्य पालकों को बाजार में अपना उत्पाद बेचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है या फिर वे अपने द्वारा उत्पादन की गई मछली को बेचने के लिए केवल कुछ खरीदारों या एजेंटों पर ही भरोसा करते हैं।

ऐप दूर करेगा समस्याएं

इन समस्याओं का समाधान करने के लिए आईसीएआर-सीआईएफए और एनएफडीबी ने सभी हितधारकों को एक मंच पर लाने के लिए इस डिजिटल प्लेटफॉर्म को विकसित किया है। इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से, कोई भी रजिस्टर्ड विक्रेता अपनी इनपुट सामग्री को सूचीबद्ध कर सकता है। ऐप उपयोगकर्ताओं के लिए सूचीबद्ध वस्तुओं का बाजार में प्रदर्शन, उनकी भौगोलिक समीपता के आधार पर किया जाएगा।

सूचीबद्ध वस्तुओं का वर्गीकरण निम्नलिखित प्रमुख श्रेणियों में किया गया है; मछली के बीज, इनपुट सामग्री, सेवाएं, नौकरियां और टेबल मछली। प्रत्येक लिस्टिंग में विक्रेताओं का संपर्क विवरण होने के साथ-साथ उत्पाद, मूल्य, उपलब्ध मात्रा, आपूर्ति क्षेत्र आदि के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की जाएगी। जरूरतमंद किसान या हितधारक विक्रेताओं से संपर्क कर सकते हैं और अपनी खरीद आवश्यकताओं को पूरी कर सकते हैं।

किसने किया विकसित

आईसीएआर और सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेशवाटर एक्वाकल्चर (आईसीएआर-सीआईएफए), ने विकसित किया है, जिसे प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के माध्यम से राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (एनएफडीबी), हैदराबाद द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान किया गया है।

मत्स्य किसानों की मदद के लिए सरकार प्रतिबद्ध

केंद्र सरकार खेती किसानी के अलावा समुद्री अर्थव्यवस्था पर भी विशेष फोकस कर रही है। हम सभी जानते हैं कि मछुआरा समुदाय पूरी तरह से समुद्री धन पर निर्भर हैं इसके अलावा इसके रक्षक भी हैं। इसी के तहत केंद्र सरकार ने तटीय इकोसिस्टम के संरक्षण और समृद्धि के लिए अनेक कदम उठा रही है, जिसमें समुद्र में काम करने वाले मछुआरों की मदद, मछली पालन विभाग, सस्ता लोन, मछली पालन के काम में लगे लोगों को किसान क्रेडिट कार्ड देना शामिल है।

वैसे तो देश के कई हिस्सों में मछली पालन किया जाता है। लेकिन समुद्र तटीय इलाकों में मछुआरों की आय का प्रमुख साधन ही मछली पालन है। लगभग 7.5 हजार किलोमीटर की तटीय सीमा के साथ भारत की मैरीटाइम स्थिति विशिष्ट है। भारत की 29 में से 9 राज्य तटीय हैं। तटीय अर्थव्यवस्था में 4 मिलियन से अधिक मछुआरे और तटीय समुदाय के लोग हैं। इस विशाल मैरीटाइम हितों के साथ नीली अर्थव्यवस्था भारत के आर्थिक विकास में क्षमता पूर्ण स्थान रखती है। नीली अर्थव्यवस्था जीडीपी में अगली छलांग लगाने की क्षमता रखती है। इसलिए भारत की नीली अर्थव्यवस्था नीति का प्रारूप आर्थिक विकास और कल्याण के लिए देश की क्षमता को विस्तारित करने के लिए एक महत्वपूर्ण रूपरेखा हैं।

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने बताया कि केंद्र सरकार ने पहली बार आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत लक्षित मत्स्य उत्पादन प्राप्त करने के लिए उद्यमियों द्वारा स्टार्टअप को बढ़ावा देना शुरू किया है।

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