8 साल में बाघों की संख्या हुई दोगुनी, विश्व के सर्वाधिक 75% बाघ भारत में

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आज 29 जुलाई 2022 को ‘अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस’ है। वैश्विक स्तर पर बाघों के संरक्षण व उनकी लुप्तप्राय हो रही प्रजाति को बचाने के लिए जागरूकता फैलाना ही इस दिवस को मनाने का प्रमुख उद्देश्य है। इस मौके पर केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने ट्वीट कर कहा है कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के अथक प्रयासों से पिछले आठ सालों में बाघों की संख्या दोगुनी हो गई है।

देश में 52 टाइगर रिजर्व  

इसके साथ देश में टाइगर रिजर्व की संख्या भी 9 से 52 हो गई है। बाघों की संख्या एवं उन्हें संरक्षित रखने के लिए प्रयास जारी रखने चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि हम सभी को पर्यावरण संरक्षण और वन्य जीवों के संरक्षण के प्रति जागरूक व सजग रहना चाहिए और अपनी भूमिका निभाते रहना चाहिए।

केंद्र सरकार के सराहनीय प्रयास

दरअसल, एक समय ऐसा आया था जब पूरी दुनिया में बाघों की संख्या तेजी से लगातार गिरती चली जा रही थी। यहां तक कि इस प्रजाति के विलुप्त होने का खतरा भी मंडराने लगा था। ऐसे में देश के भीतर वर्तमान केंद्र सरकार ने इनके संरक्षण का जिम्मा संभाला। देश में सरकार द्वारा बाघों के संरक्षण के लिए किए गए प्रयास वाकई सराहनीय है क्योंकि इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। भारत में बीते आठ साल में बाघों की संख्या दोगुनी हो गई है। प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर समुदाय बाघ संरक्षण का एक महत्वपूर्ण पहलू है और “जन एजेंडा” भारत के “बाघ एजेंडा” में प्रमुखता से शुमार है।

टाइगर रेंज देशों को सुविधा प्रदान करेगा भारत

ज्ञात हो, भारत इस साल के अंत में रूस के व्लादिवोस्तोक में होने वाले ग्लोबल टाइगर समिट (वैश्विक बाघ सम्मेलन) के लिए नई दिल्ली घोषणा पत्र को अंतिम रूप देने में टाइगर रेंज देशों को सुविधा प्रदान करेगा। 2010 में नई दिल्ली में एक “प्री टाइगर समिट” बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें ग्लोबल टाइगर समिट के लिए बाघ संरक्षण पर मसौदा घोषणा को अंतिम रूप दिया गया था। वहीं भारत ने लक्षित वर्ष 2022 से 4 साल पहले 2018 में ही बाघों की आबादी को दोगुना करने की उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। यानि भारत इकलौता देश है, जिसने लक्ष्य से 4 साल पहले 2018 में ही लक्ष्य प्राप्त कर लिया था। 2018 में इंडिया में बाघों की संख्या 2967 से ज्यादा हो चुकी है। भारत में बाघ के शासन की सफलता का मॉडल अब शेर, डॉल्फिन, तेंदुए, हिम तेंदुए और अन्य छोटी जंगली बिल्लियों जैसे अन्य वन्यजीवों के लिए दोहराया जा रहा है जबकि देश चीता को उसके ऐतिहासिक दायरे में लाने की दहलीज पर है।

बाघ संरक्षण के लिए बजटीय आवंटन

पीएम मोदी के कुशल नेतृत्व में बाघ संरक्षण के लिए बजटीय आवंटन 2014 के 185 करोड़ रुपए से बढ़कर 2022 में 300 करोड़ रुपए हो गया है और सूचित किया कि भारत में 14 टाइगर रिजर्व को पहले ही अंतरराष्ट्रीय सीए/टीएस मान्यता से सम्मानित किया जा चुका है और अधिक टाइगर रिजर्व को सीए/टीएस मान्यता दिलाने के प्रयास जारी हैं।

बाघ गणना के रूप में भारत का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में

उल्लेखनीय है कि बाघ गणना के अनुसार भारत में बाघ की संख्या 2,967 है, जो विश्व की संख्या का लगभग 75 प्रतिशत से अधिक है। सबसे बड़े बाघ गणना के रूप में भारत का नाम ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में भी दर्ज कराया गया है। वहीं, साल 1973 में भारत में सिर्फ 9 टाइगर रिजर्व थे, जबकि आज की तारीख में इनकी संख्या बढ़कर 52 हो गई है। भारत में सबसे ज्यादा टाइगर मध्य प्रदेश (526), कर्नाटक (524), उत्तराखंड (442) टाइगर है। अगर इन तीनों राज्य को मिला दिया जाए तो 50% टाइगर इन्हीं राज्य में है।

उल्लेखनीय है कि दुनिया भर में जंगली बाघों की स्थिति खतरे में बनी हुई है। इसलिए हालात सक्रिय अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के साथ-साथ सह अनुकूलनीय और सक्रिय प्रबंधन की मांग करती है। ‘ग्लोबल टाइगर फोरम-भारत’ इसी कार्य को पूरा करती है। टाइगर रेंज देशों के अंतर सरकारी मंच के संस्थापक सदस्यों में से एक ‘ग्लोबल टाइगर फोरम-भारत’ (जीटीएफ-भारत) है। जीटीएफ-भारत  ने जिन राज्यों में बाघ हैं और टाइगर रेंज देशों के साथ मिलकर काम करते हुए कई विषयगत क्षेत्रों पर अपने कार्यक्रमों का विस्तार किया है।

भारत में बाघ की प्रजातियां

देश में बाघों की 5 प्रजातियां पाई जाती हैं। ये पांचों हैं साइबेरियन, बंगाल टाइगर, इंडोचाइनीज, मलयन व सुमत्रन। आपकी जानकारी के लिए बता दें बाघ को ”बिग कैट” भी कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम पैंथेरा टाइग्रिस है। विश्व में सर्वाधिक बाघ भारत में पाए जाते हैं।

भारत में बाघों की राज्यवार संख्या

2018 की गणना के अनुसार देश में सर्वाधिक बाघ 526 मध्यप्रदेश में पाए जाते हैं। इसे टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त है। वन्यजीव विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले 2022 के आंकड़ों में यह संख्या 700 तक हो सकती है। इसके अलावा अन्य राज्यों में कर्नाटक (524), उत्तराखंड (442), महाराष्ट्र (312), तमिलनाडु (264), असम (190), केरल (190), उत्तर प्रदेश (173), राजस्थान (91), पश्चिम बंगाल (88), आंध्र प्रदेश (48), बिहार (31), अरुणाचल प्रदेश (29), ओडिशा (28), छत्तीसगढ़ (19), झारखंड (5) और गोवा में 3 बाघ हैं।

बाघ के लुप्तप्राय होने की वजह

बाघों का अवैध शिकार, जंगल की अंधाधुंध कटाई, वन में खाने की कमी और इनके आवास को नुकसान पहुंचना इनके लुप्त होने के प्रमुख कारण हैं। इनकी खाल, नाखून और दांत के लिए सर्वाधिक शिकार किया गया। कड़े कानून के बावजूद शिकारी खाल के साथ पकड़े जाने की घटना देश भर से आती रहती है।

देशभर में बाघ अभयारण्य

देश में बाघों के संरक्षण के लिए वर्ष 1973 में ”प्रोजेक्ट टाइगर” शुरू किया गया। उस समय देश में मात्र 8 अभयारण्य थे। वर्तमान में 2022 तक इनकी संख्या 53 हो चुकी है। बताना चाहेंगे 1973 में बना उत्तराखंड का ”जिम कार्बेट नेशनल पार्क” सबसे पुराना तो रामगढ़ विषधारी, राजस्थान व गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान 53वां सबसे नया है। इसके अलावा नागार्जुन सागर-श्रीशैलम आंध्र प्रदेश का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व है। यह 3568 वर्ग किमी में फैला हुआ है।

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