फ्लीट कार्ड-फ्यूल ऑन मूव’ योजना से वायु सेना के काफिले को मिलेगी गति

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भारतीय वायु सेना ने अपने विभिन्न वाहनों के बेड़े के लिए ‘फ्लीट कार्ड-फ्यूल ऑन मूव’ योजना पेश की है। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) के सहयोग से भारतीय वायु सेना ने ईंधन आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में एक लंबी छलांग लगाई है। भारतीय वायु सेना की इस पहल से ईंधन के रसद प्रबंधन में जल्द ही आदर्श बदलाव देखने को मिलेंगे।

मौके पर मौजूद रहे वायु सेना प्रमुख

वायु सेना के वाहनों के लिए ऊर्जा सुरक्षा ‘फ्लीट कार्ड’ की लॉन्चिंग वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने सोमवार को सुब्रतो पार्क में की। इस मौके पर वेस्टर्न एयर कमांड के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ एयर मार्शल एस. प्रभाकरन और आईओसीएल के अध्यक्ष एसएम वैद्य भी मौजूद रहे। वायु सेना प्रमुख चौधरी ने इस पहल के लिए टीम वेस्टर्न एयर कमांड (डब्ल्यूएसी) और आईओसीएल की सराहना की, जिसने भारतीय वायुसेना की परिचालन तैयारियों और क्षमता को बढ़ाया है।

पश्चिमी वायु कमान को मिली योजना की जिम्मेवारी

मुख्यालय पश्चिमी वायु कमान को ‘फ्यूल ऑन मूव’ की इस योजना के कार्यान्वयन की जिम्मेवारी दी गई थी। फ्लीट कार्ड की उपलब्धता से वाहनों के काफिले को आईओसीएल के किसी भी स्टेशनों पर ईंधन भरने की अनुमति मिलेगी, जिससे आवाजाही की गति में वृद्धि होगी और देश भर में परिचालन स्थानों पर तैयारी के लिए समय में कमी आएगी।

फ्यूल ऑन मूव से पुरानी व्यवस्था में हुआ बदलाव

मौजूदा समय में वायु सेना विभिन्न एजेंसियों और स्टोरों से ईंधन खरीद कर अपने प्रतिष्ठानों में वितरित करती है। इसीलिए सड़क काफिले को फिर से ईंधन लेने के लिए एयर फोर्स स्टेशनों पर रुकना पड़ता है। अब फ्लीट कार्ड्स के साथ वायु सेना के वाहन देश भर में किसी भी आईओसीएल के पम्प से ईंधन भरवा सकेंगे। अब वायु सेना के वाहन ईंधन भरवाने के लिए सैन्य स्टेशनों पर जाने के बजाय दो स्थानों के बीच सबसे छोटा रास्ता अपना सकते हैं।

तेज गति से आगे बढ़ेगी वायु सेना

वायु सेना की यह पहल सामरिक जरूरतों के मुताबिक भारतीय सशस्त्र बलों को तेज गति से आगे बढ़ाने में मदद करेगी। इसीलिए आईओसीएल के साथ यह करार किया गया है ताकि वायु सेना में ईंधन के रसद प्रबंधन में आदर्श बदलाव लाया जा सके। वायु सेना ने यह फैसला रक्षा बलों में सुधार के लिए शेखतकर समिति की सिफारिशों के अनुरूप लिया है। आईओसीएल के साथ की गई इस नई पहल से भारतीय वायुसेना के भीतर युद्ध क्षमता और कुशल रसद प्रबंधन को बढ़ाने की दिशा में कई अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ेगा।

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