भारत की कंटेनर हैंडलिंग क्षमता में बड़ा उछाल, पांच साल में होगी दोगुनी

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परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने मंत्रालय द्वारा पहले 100 दिनों के दौरान हासिल की गई महत्वपूर्ण उपलब्धियों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। इस कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य भारत के समुद्री क्षेत्र में बदलाव लाने और मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 और मैरीटाइम अमृतकाल विजन 2047 के साथ तालमेल बिठाने की दिशा में मंत्रालय के योगदान को प्रदर्शित करना था।

कार्यक्रम की शुरुआत पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय में सचिव श्री टी.के. रामचंद्रन के विस्तृत संबोधन से हुई। इसके बाद मंत्री महोदय ने अपने वक्तव्य दिए, जिनमें भारत के समुद्री बुनियादी ढांचे में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए सरकार के सक्रिय कदमों पर जोर दिया गया।
श्री सर्बानंद सोनोवाल ने अपने संबोधन की शुरुआत प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के अटूट मार्गदर्शन की सराहना करते हुए की, जिनका ‘समृद्धि के लिए बंदरगाह और प्रगति के लिए बंदरगाह’ का विजन भारत के समुद्री परिवर्तन की आधारशिला बन गया है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि समग्र विकास पर प्रधानमंत्री मोदी का ध्यान और ‘परिवहन के माध्यम से परिवर्तन’ का उनका मंत्र भारत के समुद्री परिदृश्य के पूर्ण कायापलट की ओर ले जा रहा है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सितंबर 2024 में आयोजित 20वीं समुद्री राज्य विकास परिषद की बैठक की चर्चा का उल्लेख किया गया, जिसमें विभिन्न राज्यों में मेगा शिपबिल्डिंग पार्कों के विकास पर मुख्य रूप से चर्चा की गई। इसके अतिरिक्त, एमओपीएसडब्ल्यू द्वारा अगस्त में नागपट्टिनम पोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना के उन्नयन को मंजूरी दिए जाने का उल्लेख किया गया, जिसका उद्देश्य नागपट्टिनम (भारत) और कांकेसंथुराई (श्रीलंका) के बीच यात्री नौका सेवा शुरू करना है, जिससे क्षेत्रीय संपर्क, व्यापार, पर्यटन और आर्थिक अवसरों में वृद्धि होगी।

श्री सर्बानंद सोनोवाल ने मंत्रालय की आगामी प्राथमिकताओं को रेखांकित किया, जिनका उद्देश्य भारत के समुद्री क्षेत्र को और आगे बढ़ाना है। प्रमुख पहलों में ग्रेट निकोबार द्वीप के गैलाथिया खाड़ी में अंतर्राष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट (आईसीटीपी) पर काम शुरू करना शामिल है, जो एक प्रमुख ट्रांसशिपमेंट हब के रूप में काम करेगा। जहाज निर्माण में भारत की आत्मनिर्भरता को मजबूत करने के लिए, जहाज निर्माण वित्तीय सहायता नीति का विस्तार किया जाएगा, साथ ही घरेलू जहाज स्वामित्व को बढ़ावा देने के लिए एक समुद्री विकास कोष की स्थापना की जाएगी। मंत्रालय ईबीएस पोर्टल (पोर्ट ऑपरेटिंग सिस्टम) के साथ डिजिटलीकरण के माध्यम से परिचालन दक्षता बढ़ाने के लिए भी तैयार है, जो पांच प्रमुख बंदरगाहों पर लाइव होगा, जिससे रसद लागत कम होगी और परिचालन सुव्यवस्थित होगा।

जहाज सुरक्षा, समुद्री प्रदूषण और समुद्री देयताओं के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल करने वाले मर्चेंट शिपिंग विधेयक की अधिसूचना का भी उल्लेख किया गया। साथ ही तटीय शिपिंग विधेयक का भी उल्लेख किया गया, जिसका उद्देश्य प्रतिस्पर्धी तटीय शिपिंग वातावरण को बढ़ावा देना, परिवहन लागत को कम करना, भारतीय जहाजों को बढ़ावा देना और अंतर्देशीय जलमार्गों के साथ समुद्री परिवहन को एकीकृत करना है।

स्थिरता के मोर्चे पर, हरित नौका योजना अंतर्देशीय जहाजों के लिए हरित ईंधन में बदलाव को बढ़ावा देगी, और कोचीन शिपयार्ड में हाइड्रोजन-संचालित जहाजों का निर्माण किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, बढ़ते घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय क्रूज पर्यटन को समायोजित करने के लिए गोवा में मोरमुगाओ पोर्ट क्रूज टर्मिनल के संचालन के साथ भारत को एक प्रमुख क्रूजिंग गंतव्य के रूप में स्थापित करने के लिए क्रूज़ इंडिया मिशन शुरू किया जाएगा।
श्री सोनोवाल ने कहा, “माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में हम अपनी यात्रा जारी रखते हुए भारत के समुद्री क्षेत्र को बदलने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बुनियादी ढांचे को बढ़ाने, व्यापार करने में आसानी और स्थिरता पर हमारे ध्यान के साथ, हम देश को वैश्विक समुद्री महाशक्ति बनने की दिशा में आगे बढ़ा रहे हैं।”

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय, समुद्री भारत विजन 2030 के तहत निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने पर दृढ़तापूर्वक केंद्रित है। प्रयास सतत विकास सुनिश्चित करने, नवाचार को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसर पैदा करने की दिशा में हैं, जो भारत के समुद्री क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रमुखता प्रदान करेंगे।

प्रेस कॉन्फ्रेंस का समापन प्रश्नोत्तर सत्र के साथ हुआ, जिसमें मीडिया को मंत्री और सचिव दोनों के साथ सीधे बातचीत करने का मंच प्रदान किया गया।

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