रुद्रप्रयाग / प्रशिक्षण कार्याशाला का मुख्य अतिथि मुख्य विकास अधिकारी नरेश कुमार एवं प्रशासनिक अकादमी नैनीताल के अधिकारियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्याशाला में आपदा प्रबंधन, सूचना अधिकार अधिनियम, महिला उत्पीड़न आदि के संबंध में जिला स्तरीय अधिकारियों को प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जा रहा है।
तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्याशाला का शुभारंभ करते हुए मुख्य विकास अधिकारी नरेश कुमार ने कहा कि डाॅ. आरएस टोलिया उत्तराखंड प्रशासनिक अकादमी नैनीताल का मुख्य उद्देश्य है कि सुदूरवर्ती जिलों में कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों को आपदा प्रबंधन, सूचना अधिकार, सेवा का अधिकार, ई आफिस एवं महिला उत्पीड़न के संबंध में विस्तृत प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जा रहा है जिससे कि प्रथम दिन आपदा प्रबंधन के तहत प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने उपस्थित अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रशासनिक अकादमी नैनीताल के अधिकारियों द्वारा जो भी प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जा रहा है उसको सभी अधिकारी संवेदनशीलता के साथ ग्रहण करें तथा किसी भी तरह की कोई शंका है तो उसका समाधान प्रशिक्षण के समय ही संबंधित अधिकारियों से उसका समाधान कर लिया जाए।
संयुक्त निदेशक प्रशासनिक अकादमी नैनीताल महेश कुमार ने कहा कि प्रशासनिक अकादमी का मुख्य उद्देश्य दूरस्थ पर्वतीय जिलों में पहुंचकर जिला स्तरीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों को उचित प्रशिक्षण उपलब्ध कराना है। उन्होंने कहा कि जनपद रुद्रप्रयाग में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। जिसमें पहले दिन आपदा प्रबंधन के संबंध में प्रशिक्षण उपलब्ध कराया गया है तथा दूसरे दिन सूचना का अधिकार अधिनियम एवं सेवा का अधिकार व ई-आफिस के संचालन में तथा तीसरे दिन महिलाओं के साथ किसी तरह का उत्पीड़न न हो इस संबंध में प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि जनपद रुद्रप्रयाग आपदा की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र है जो जोन-5 में आता है। इसके लिए उन्होंने उपस्थित अधिकारियों एवं कर्मचारियों से कहा कि किसी भी प्रकार की आपदा घटित होने पर सभी का यह ध्येय होना चाहिए कि कम से कम समय में त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित की जाए ताकि बड़ी घटना घटित होने पर उसे कम किया जा सके। इसके लिए सभी अधिकारी हर समय सतर्क एवं संवेदनशील रहें।
प्रभारी प्रशासनिक अकादमी नैनीताल डाॅ. ओमप्रकाश ने कहा कि किसी प्रकार की आपदा घटित होने पर जोखिम को कैसे कम और न्यूनीकरण करना है इसके लिए सभी अधिकारियों को तत्परता से कार्यवाही किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कई घटनाओं जिसमें भूकंप, भू-स्खलन व अन्य दैवीय आपदा की घटनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पर्यटन की दृष्टि से उत्तराखंड महत्वपूर्ण स्थान रखता है किन्तु यहां की प्रकृति के चेहरे पर कई घाव लगे हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह की आपदा आने पर उस क्षेत्र का विकास अवरुद्ध हो जाता है इसके लिए उन्होंने कहा कि प्रकृति के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ न हो।
इस अवसर पर शोध अधिकारी डाॅ. प्रियंका त्यागी ने भी आपदा प्रबंधन के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई।
प्रोफेसर संतोष कुमार नई दिल्ली द्वारा भी ऑनलाइन के माध्यम से आपदा प्रबंधन के संबंध में उपस्थित अधिकारियों को विस्तार से जानकारी उपलब्ध कराई गई। कार्यशाला का सफल संचालन किशन रावत द्वारा किया गया l
प्रशिक्षण कार्याशाला में परियोजना निदेशक डीआरडीए विमल कुमार, जिला विकास अधिकारी अनिता पंवार, उप जिलाधिकारी जखोली परमानंद राम, पुलिस उपाधीक्षक विमल रावत, जिला उद्यान अधिकारी योगेंद्र सिंह चौधरी, मुख्य कृषि अधिकारी लोकेंद्र सिंह बिष्ट, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार, अधिशासी अभियंता एनएच निर्भय सिंह सहित संबंधित अधिकारी, पुलिस जवान आदि मौजूद रहे।