7 गति बैशाख मेरा मुलुक मेला : रथि देवता मेला।।

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फ़ोटो: चम्बा द हिल किंग – टिहरी गढ़वाल के फेसबुक पेज से 


चम्बा।।उत्तराखंड।। विनय तिवारी
।। उत्तराखंड की संस्कृति में थौल मेलों का अपना एक अलग महत्व है। पहाड़ी संस्कृति में थौल मेलों का स्थान काफी ऊंचा है ये अवसर ईश्वर वंदना, सांस्कृतिक सम्मेलन, सांस्कृतिक आदान प्रदान एवं भांति भांति के कार्यक्रमों का अवसर होता है। थौल मेलों का आकर्षण हर उम्र वर्ग के लोगों को मोह लेता है। इस अवसर पर खेलों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों एवं खानपान से सुसज्जित बाजारों को देखा जाता है।
थौल मेला उत्तराखंड की सांस्कृतिक यात्रओं को लेकर गढ़ रत्न श्री नरेंद्र सिंह नेगी जी के गीत “2 गति बैशाख मेरा मुलुक मेला” आपने जरूर सुना और गुनगुनाया होगा ।
बैशाख के पूरे महीने संक्रांति से ही थौल मेले प्रारंभ हो जाते बाजार नई रंगत से सज जाते है, व्यापारी अपने व्यवसाय बढ़ने की कामना करते है, ध्याण मेलों में मैतियों मिलन की ईच्छा रखती है । नव युवा युवतियां  प्रेम प्रसंग की आस लगते है , बढे ,बूढ़े-बुजुर्ग रसीली जलेबी चटपटी पकौड़ी का इंतजार करते है । बच्चे खिलोने ,चरखी के मजे लेने का, तो देव भूमि के देवी देवता रोट भेंट का । थौल मेले मुख्य बाजार, छोटी-छोटी मार्केटों में व देव स्तुति के लिए मंदिर प्रांगण में लगते है । मेलों का इंतजार साल भर से होता है ।
इसी क्रम में हिन्दू पंचांग के अनुसार 7 गति बैशाख को श्री धनसिंह रथी देवता सिद्ध देवता का मेला होता है यह मंदिर चम्बा (टिहरी गढ़वाल )से लगभग २६ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है हमारे भारतवर्ष में किलिखाल मेले के रूप में प्रसिद्ध है।
इस बार किसी को भी इस स्थल में जाने का शुभ अवसर प्राप्त नहीं हुआ क्योंकि देश एक महामारी काल के दौर में है। लॉक डॉउन का पालन अतिआवश्यक है। इसलिए यह लेख आपके लिए प्रस्तुत है। इस बार इस बार ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था थी ।
सभी संस्कृति प्रेमियों के चरणों में लेेेख के माध्यम से एक धार्मिक सांस्कृतिक भेंट।

।।जय रथी राजा! जय धन सिंह महाराज!।।

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