वनाग्नि सुरक्षा पर कार्यशाला: उत्तराखंड वन विभाग की नई तकनीकी पहल

UTTARAKHAND NEWS

25 फरवरी 2025 को वन चेतना केन्द्र, पुरोला, उत्तरकाशी में वनाग्नि सुरक्षा से संबंधित एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में वायरलेस ऑपरेटर्स, मास्टर कंट्रोल रूम प्रभारी तथा वनाग्नि रिपोर्टिंग से जुड़े कर्मचारियों ने भाग लिया। टौंस वन प्रभाग, अपर यमुना वन प्रभाग एवं गोविंद वन्य जीव प्रभाग, उत्तरकाशी के वनक्षेत्राधिकारी, वन दरोगा, वन बीट अधिकारी, कंप्यूटर ऑपरेटर्स, एनजीओ प्रतिनिधि और पत्रकार भी इस कार्यशाला का हिस्सा बने।

कार्यशाला में वन मुख्यालय, देहरादून से आए मास्टर ट्रेनर्स संजय पुरोहित, दीपराज, इंकिता शर्मा और रमेश खत्री द्वारा वनाग्नि नियंत्रण, वायरलेस ऑपरेटिंग सिस्टम और मास्टर कंट्रोल रूम की आवश्यक रिपोर्टिंग के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी गई।

उत्तराखंड वन विभाग की अत्याधुनिक फॉरेस्ट फायर एप्लिकेशन

उत्तराखंड वन विभाग ने एक अत्याधुनिक फॉरेस्ट फायर एप्लिकेशन विकसित किया है, जो जंगल की आग की घटनाओं का तुरंत पता लगाने और त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने में सहायक होगा। इस एप्लिकेशन में रीयल-टाइम मॉनिटरिंग और त्वरित अलर्ट सिस्टम जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया है।

अत्याधुनिक अलर्ट सिस्टमइस एप्लिकेशन में एक अलर्ट सिस्टम लगाया गया है, जो जंगल में आग लगते ही संबंधित वनकर्मियों को तुरंत सूचना भेजता है। यह सूचना आग की तीव्रता और स्थान के आधार पर वन विभाग के अधिकारियों और फील्ड टीमों को दी जाती है ताकि वे तुरंत प्रतिक्रिया दे सकें।

रंग-आधारित संकेत प्रणाली

फॉरेस्ट फायर एप्लिकेशन में रंग-आधारित संकेत प्रणाली का उपयोग किया गया है, जिससे आग की स्थिति को आसानी से समझा जा सकता है।

  • लाल रंग – आग लगी है और फैल रही है।
  • पीला रंग – वनकर्मी आग वाले स्थान पर पहुंच चुके हैं।
  • हरा रंग – आग को सफलतापूर्वक बुझा दिया गया है।

अग्निशमन वाहनों से कनेक्टिविटी

इस एप्लिकेशन को राज्यभर के 7,000 से अधिक वन कर्मचारियों और 40 से अधिक अग्निशमन वाहनों से जोड़ा गया है। इससे वन विभाग की टीमें तेजी से आग प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंच सकेंगी और नुकसान को कम करने के लिए तत्काल कार्रवाई कर सकेंगी।

आईएफएस अधिकारी वैभव सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका

इस एप्लिकेशन को विकसित करने में भारतीय वन सेवा (IFS) के अधिकारी वैभव सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने 2020 से 2022 के बीच रुद्रप्रयाग जिले में इस तकनीक का प्रायोगिक परीक्षण किया और इसे अधिक प्रभावी बनाया। उनके प्रयासों से अब उत्तराखंड के जंगलों में लगने वाली आग पर तेजी से काबू पाया जा सकेगा।

कार्यशाला का सफल आयोजन

इस कार्यशाला को वन मुख्यालय से श्री निशांत वर्मा, अपर प्रमुख वन संरक्षक, वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया। इस आयोजन में गंगोत्री कौशल विकास एवं उत्थान समिति, देहरादून का सहयोग भी रहा। कार्यशाला का उद्देश्य उत्तराखंड के जंगलों को वनाग्नि से बचाने और वन विभाग की टीमों को नई तकनीकों से प्रशिक्षित करना था।

उत्तराखंड वन विभाग द्वारा विकसित फॉरेस्ट फायर एप्लिकेशन जंगलों की आग को रोकने और उसे तेजी से नियंत्रित करने में अत्यधिक सहायक साबित हो सकता है। इस तरह की तकनीकी पहल वन संसाधनों की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस कार्यशाला ने वन कर्मचारियों और अन्य प्रतिभागियों को आधुनिक तकनीकों और रणनीतियों से अवगत कराया, जिससे वे वनाग्नि नियंत्रण में अधिक प्रभावी भूमिका निभा सकें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *