माटी संस्था ने देहरादून के नून नदी के स्वास्थ सर्वेक्षण किया गया

UTTARAKHAND NEWS

आज माटी संस्था “अस्कोट-आराकोट अभियान 2024” के अंतर्गत देहरादून के नून नदी के स्वास्थ सर्वेक्षण किया गया।
इस कार्यक्रम के दौरान श्री सरगम सिंह रसेली (पूर्व एडीशनल पीसीसीएफ अधिकारी, वन विभाग उत्तराखंड) ने अस्कोट-आराकोट अभियान के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को बताते हुए कहा कि यह अभियान की शुरुआत स्थानीय विद्यार्थीओ, सामाजिक कार्यकर्ताओ व कुछ ग्रामीणओ ने मिलकर की थी जो उत्तराखंड के पूर्वी कोने पर  बसा अस्कोट (जिला पिथौरागढ़) से लेकर राज्य के पश्चिम कोने आराकोट (जिला आराकोट) स्थान तक 25 मई से 8 जुलाई, 1975 तक चली थी।
दस साल बाद ‘पहाड़’ संस्था ने अन्य सहयोगी संस्थाओं के साथ मिलकर यह तय किया कि पुनः 25 मई से 8 जुलाई 1984 को एक बार फिर उन्ही तिथियों और उन्ही मार्गो से यात्रा कर एक दशक में हुए परिवर्तन को समझने की कोशिश की जाए। इसी उद्देश्य से इसी कालखंड में प्रत्येक दस वर्षों के अंतराल में यह अभियान चलाया जाता है। उन्होंने बताया कि 2024 में इस अभियान का पचास वर्ष पूरे हो रहे है। इस वर्ष अभियान का केंद्रीय विषयवस्तु  व थीम “स्रोत से संगम” रखा गया है, ताकि नदियों से समाज के रिश्ते को गहराई व समग्र जलागम के संदर्भ में समझा जा सके।
इसी अभियान का हिस्सा बनते हुए माटी संस्था ने देहरादून जिले में बहने वाली नून नदी का अध्ययन की शुरुवात आज की गई है।
इस सर्वेक्षण के दौरान नदी के पारिस्थितिकी तंत्र का अवलोकन किया साथ ही नदी के आसपास रहने वाले लोगों से नदी का महत्व को समझने का प्रयास किया गया। इस कार्य के दौरान नदी में लगभग दो किलोमीटर तक ट्रेक करते हुए नदी का सर्वे किया गया। इस दौरान नदी के भिन्न-भिन्न स्थानों को चिन्हित कर उन स्थानों पर नदी की चौड़ाई, जल का बहाव क्षेत्र, जल की गहराई, जलीय जैव विविधता, पक्षी, जीव जंतु, पेड़ पौधे आदि का डेटा लिया गया।
नून नदी के इस सर्वे के दौरान शोधकर्ताओं को लगभग 50 से ज्यादा प्रजाति के पक्षी, 30 से ज्यादा जलीय जंतु व वनस्पति, लगभग 50 से ज्यादा पेड़-पौधे आदि को सूचीबद्ध किया गया।
माटी संस्था के मनाववैज्ञानिक डॉ o जोखन शर्मा ने बताया कि संस्था के द्वारा नून नदी पर किया जा रहा यह अध्ययन कार्य तीन चरणों जैसे पूर्व मानसून कालखंड,मानसून व पोस्ट मानसून कालखंड मे किया जाएगा।
इस अभियान में श्री सरगम सिंह रसेली (पूर्व एडीशनल पीसीसीएफ अधिकारी), डॉ o जोखन शर्मा (मनाववैज्ञानिक), श्री कुशलपाल सिंह, श्री सुनीत, श्री सागर पुनिया, किशोर बेनीवाल, सुनील चौधरी, अंकित साहू, दीपक शर्मा आदि शामिल रहे।

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