(नई दिल्ली )12जुलाई,2025.
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों (सीजेआई) ने एक देश एक चुनाव मसौदे को लेकर संसदीय समिति को सुझाव दिए हैं। पूर्व सीजेआई ने समिति को बताया है कि एक देश एक चुनाव से संविधान का उल्लंघन नहीं होगा। दोनों न्यायाधीशों ने प्रस्तावित कानून में चुनाव आयोग को दी गई।
शक्तियों पर सवाल उठाए हैं:
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर और डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को एक देश एक चुनाव विधेयक की जांच कर रही संसदीय समिति से बात की। सूत्रों ने बताया कि संसदीय समिति की आठवीं बैठक में दोनों न्यायविदों ने कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव की अवधारणा संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करती है। उन्होंने देश में लोकतंत्र की संसदीय प्रणाली की यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कुछ सुझाव भी दिए हैं।
भाजपा सांसद पीपी चौधरी की अध्यक्षता वाली संसद की संयुक्त समिति विधेयक पर अपनी सिफारिश तैयार करने के लिए न्यायविदों और कानूनी विशेषज्ञों से बात कर रही है। पूर्व मुख्य न्यायाधीशों यू. यू. ललित और रंजन गोगोई ने क्रमशः फरवरी और मार्च में समिति के समक्ष उपस्थित होकर अपने विचार रखे थे। दोनों ने एक साथ चुनाव कराने की संवैधानिकता पर सवाल नहीं उठाया था, लेकिन उन्होंने विधेयक के कुछ पहलुओं पर सवाल उठाए और सुझाव दिए थे।
जेपीसी अध्यक्ष पीपी चौधरी बोले- देश भर में कई लोग एक देश एक चुनाव का समर्थन करते हैं:
एक राष्ट्र, एक चुनाव पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद पीपी चौधरी ने कहा कि विभिन्न राज्यों के अधिकांश लोग और नेता एक राष्ट्र, एक चुनाव के विचार का समर्थन करते हैं। पांच राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश का दौरा करने के बाद चौधरी ने कहा कि कई राजनीतिक नेताओं, नागरिक समाज के सदस्यों और अधिकारियों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है, हालांकि कुछ लोगों को इस पर चिंताएं भी हैं।
उन्होंने कहा कि समिति इस मुद्दे पर गंभीरता से चर्चा कर रही है। हम पांच राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के अध्ययन दौरे पर गए थे। महाराष्ट्र में, हमने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, राजनीतिक दलों के नेताओं, सरकारी अधिकारियों और नागरिक समाज के सदस्यों से मुलाकात की। हम जहां भी गए, हमने देखा कि सभी दलों के समिति सदस्य इस मुद्दे में सच्ची दिलचस्पी दिखा रहे हैं। हम सभी दलीय सीमाओं से परे, देश के हित में क्या बेहतर है, इस बारे में सोच रहे हैं।
संसदीय समिति में शामिल हैं 39 सदस्य:
एक देश एक चुनाव के लिए दो विधेयक बीते साल दिसंबर में लोकसभा में पेश किए गए थे। ये विधेयक हैं- संविधान (129वां संशोधन) विधेयक और संघ राज्य क्षेत्र (कानून) संशोधन विधेयक। इन दोनों विधेयकों का मकसद लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराने के लिए जरूरी बदलाव करना है। 12 दिसंबर को पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने इन विधेयकों को मंजूरी दी थी।
हालांकि लोकसभा में विपक्ष के विरोध को देखते हुए इन्हें संयुक्त संसदीय समिति के पास भेज दिया गया था। 39 सदस्यीय इस संयुक्त संसदीय समिति की अध्यक्षता भाजपा सांसद पीपी चौधरी कर रहे हैं। इनके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, पुरुषोत्तम रूपाला, मनीष तिवारी, प्रियंका गांधी, सुषमा स्वराज और संबित पात्रा आदि सांसद इस समिति के सदस्य हैं। संयुक्त संसदीय समिति में 27 लोकसभा और 12 राज्यसभा सांसद शामिल हैं।(साभार एजेंसी)