देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज, रायपुर (देहरादून) में आयोजित अखिल भारतीय वन खेलकूद प्रतियोगिता 2025 का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि उत्तराखंड आज खेल और पर्यावरण संरक्षण का अग्रदूत बनकर पूरे देश के सामने उदाहरण पेश कर रहा है।
कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री श्री सुबोध उनियाल, राज्यसभा सांसद श्री नरेश बंसल एवं श्रीमती कल्पना सैनी, विधायक श्री उमेश शर्मा ‘काउ’, श्री खजान दास, श्रीमती सविता कपूर, प्रमुख सचिव श्री आर.के. सुधांशु, प्रमुख वन संरक्षक उत्तराखंड सहित अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
देवभूमि में वन अधिकारियों और खिलाड़ियों का स्वागत
मुख्यमंत्री ने देशभर से आए वन अधिकारियों, खिलाड़ियों और खेल प्रेमियों का स्वागत करते हुए कहा कि 28वीं अखिल भारतीय वन खेलकूद एवं सांस्कृतिक प्रतियोगिता की मेजबानी उत्तराखंड के लिए गौरव का विषय है। उन्होंने आयोजन के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री श्री भूपेंद्र यादव का आभार व्यक्त किया तथा वन विभाग को सफल आयोजन के लिए बधाई दी।
42 टीमें, 3390 खिलाड़ी, 700 महिला प्रतिभागी
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रतियोगिता में देशभर के 42 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से 3390 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं, जिनमें 700 से अधिक महिला खिलाड़ी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि “खेल केवल प्रतिस्पर्धा का मंच नहीं, बल्कि व्यक्तित्व विकास और राष्ट्र निर्माण का माध्यम हैं।”
खेल संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण का संगम
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि खेल अनुशासन, टीमवर्क और संघर्ष की भावना को मजबूत करते हैं। उन्होंने कहा कि वन कर्मियों का फिट रहना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि वे ही पर्यावरण और वन संपदा के असली रक्षक हैं। राज्य सरकार खेल संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ-साथ वन संपदा संरक्षण के लिए भी निरंतर कार्य कर रही है।
खिलाड़ियों के लिए नई सुविधाएं और सम्मान
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में 8 शहरों में 23 खेल अकादमियां, राज्य खेल विश्वविद्यालय और महिला स्पोर्ट्स कॉलेज की स्थापना की जा रही है। उन्होंने कहा कि “राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक लाने वाले खिलाड़ियों को सरकार ‘आउट ऑफ टर्न’ नियुक्ति और 50 लाख रुपये की सम्मान राशि प्रदान कर रही है।” उन्होंने वर्ल्ड कप विजेता भारतीय महिला क्रिकेट टीम की सदस्य स्नेहा राणा को 50 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि की घोषणा का भी उल्लेख किया।
ग्रीन गेम्स और “खेल वन” पहल की सराहना
मुख्यमंत्री ने बताया कि हाल ही में उत्तराखंड में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेलों को ‘ग्रीन गेम्स’ थीम पर आयोजित किया गया, जहाँ सभी सामग्री ई-वेस्ट और रिसाइकल्ड मटेरियल से तैयार की गई थी। उन्होंने कहा कि 2.77 हेक्टेयर भूमि पर विकसित ‘खेल वन’ में पदक विजेताओं के नाम पर 1600 से अधिक रुद्राक्ष के पौधे लगाए गए हैं, जो खेल उत्कृष्टता और हरित चेतना का प्रतीक है।
वन्यजीव संरक्षण में आधुनिक तकनीक
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य का 71 प्रतिशत भूभाग वनाच्छादित है, जो उत्तराखंड को देश का “ऑक्सीजन बैंक” और “वाटर टॉवर” बनाता है। उन्होंने बताया कि राज्य में 6 राष्ट्रीय उद्यान, 7 वन्यजीव विहार और 4 संरक्षण आरक्षित क्षेत्र हैं। उन्होंने कहा कि वन्यजीव संरक्षण के लिए जीपीएस ट्रैकिंग, ड्रोन सर्विलांस और डॉग स्क्वॉड जैसी आधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया जा रहा है, जबकि मानव-वन्यजीव संघर्ष के मामलों में मुआवजा राशि 6 लाख से बढ़ाकर 10 लाख रुपये की गई है।
सीएम यंग ईको-प्रिन्योर योजना और इको-टूरिज्म
मुख्यमंत्री ने कहा कि “सीएम यंग ईको-प्रिन्योर योजना” के तहत युवाओं को नेचर गाइड, ड्रोन पायलट, वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर, ट्रेकिंग गाइड और इको-टूरिज्म उद्यमी के रूप में प्रशिक्षित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि “कैन्टर राइड” जैसी पहलों से स्थानीय समुदायों को संरक्षण और पर्यटन से जोड़कर उनकी आजीविका सशक्त की जा रही है। साथ ही कॉर्बेट में आधुनिक वन्यजीव रेस्क्यू सेंटर स्थापित किया गया है।
नई परियोजनाओं को स्वीकृति की मांग
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्रालय से हल्द्वानी जू सफारी परियोजना और उत्तरकाशी में स्नो लेपर्ड कंज़र्वेशन सेंटर की स्वीकृति हेतु सहयोग मांगा। उन्होंने कहा कि “ये दोनों परियोजनाएं राज्य के पर्यटन और वन्यजीव संरक्षण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।”
“एक पेड़ माँ के नाम” अभियान का भावनात्मक आह्वान
मुख्यमंत्री धामी ने प्रधानमंत्री मोदी के “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान का उल्लेख करते हुए खिलाड़ियों से कहा —
“यदि आप इस स्टेडियम परिसर में अपनी माता जी के नाम एक पौधा लगाएंगे, तो यह माँ के प्रति प्रेम और सम्मान का प्रतीक बनेगा।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि देशभर से आए वन अधिकारी और खिलाड़ी खेल उत्कृष्टता और हरित उत्तराखंड निर्माण के संकल्प को साकार करेंगे।
“आप सभी अपने परिश्रम से न केवल राज्य का गौरव बढ़ा रहे हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरित, स्वस्थ और सशक्त उत्तराखंड का निर्माण कर रहे हैं।”




